अंडरवर्ल्ड अबू सलेम मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस देखने को मिली. कोर्ट द्वारा केंद्र को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया था. लेकिन उस हलफनामे को लेकर ही कोर्ट में माहौल गर्म दिखा और जस्टिस संजय किशन कौल ने तीखी प्रतिक्रिया दी.
कोर्ट ने हलफनामे की भाषा पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि सरकार न्यायपालिका को भाषण ना दे. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामे में लिखे कई वाक्यों पर आपत्ति जताई. जस्टिस कौल ने कहा कि जो मुद्दे आपको हल करने हैं, फैसला आपको करना है. आप उस पर भी फैसला लेने की जिम्मेदारी हम पर ही डाल देते हैं. ये क्या है?
अब जस्टिस कॉल सिर्फ यही पर नहीं रुके. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कोर्ट कभी भी किसी के इशारों पर या कहने पर काम नहीं करता है. उन्होंने कहा कि हमें ये कहते हुए खेद है कि गृह सचिव ये ना बताएं कि हमें ही अपील पर फैसला लेना है. केंद्र सरकार को हलफनामे में सोच समझ कर लिखना चाहिए. हमे हलफनामे में लिखे कई वाक्य अच्छे नहीं लगे. आपने एक जगह लिखा है कि आप उपयुक्त अवसर पर निर्णय लेंगे. आप हर समय गेंद हमारे पाले में ही डाल देते हैं.
अब जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार ने इस मामले में जो हलफनामा दाखिल किया था, उसमें साफ कहा गया था कि 17 दिसंबर, 2002 को पुर्तगाल अथॉरिटी के सामने सलेम के प्रत्यर्पण के वक्त जो अंडरटेकिंग रखी गई थी, उसका समय आने पर जरूर पालन किया जाएगा. हलफनामे में इस बात पर भी जोर रहा कि न्यायपालिका स्वतंत्र है और वह कानून के आधार पर फैसला लेती है.