सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अधिकारियों से इंटरनेशनल मानदंडों के मुताबिक अनियंत्रित हवाई यात्रियों से निपटने के लिए और अधिक रचनात्मक तरीके अपनाने को कहा. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ 72 वर्षीय एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर 2022 में एयर इंडिया की फ्लाइट में एक व्यक्ति ने कथित तौर पर पेशाब कर दिया था.
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने फ्लाइट में अपने अनुभव को साझा किया जब दो नशे में धुत यात्री उनकी फ्लाइट में यात्रा कर रहे थे. उन्होंने कहा, "हाल ही में जब मैं और जस्टिस सूर्यकांत फ्लाइट में थे, तो दो पुरुष यात्री पूरी तरह से नशे में थे. एक ने खुद को शौचालय में बंद कर लिया और सो गया जबकि दूसरा उल्टी की थैली लेकर बाहर चला गया. फ्लाइट के स्टाफ में सभी महिला थीं तो उन्होंने शौचालय नहीं खोला, इसलिए हमारे एक सह-यात्री को दरवाजा खोलना पड़ा."
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को आश्वासन दिया कि वे इस पर कुछ दिशा-निर्देश जारी करेंगे. पीठ ने सुनवाई को आठ हफ्ते के लिए स्थगित करते हुए सुझाव दिया, "कुछ रचनात्मक करना होगा. शायद रणनीतिक सीटिंग या कुछ और."
बता दें कि एक महिला यात्री ने एक जनहित याचिका दायर कर कहा था कि वह शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य है क्योंकि एयर इंडिया और डीजीसीए पेशाब की घटना के बाद उनके साथ सावधानी और जिम्मेदारी से पेश नहीं आए. 31 जनवरी को दिल्ली की एक अदालत ने न्यूयॉर्क से दिल्ली आने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट में महिला सह-यात्री पर पेशाब करने के आरोपी शंकर मिश्रा को जमानत दे दी थी. उसने कथित तौर पर एयर इंडिया की फ्लाइट के बिजनेस क्लास में नशे की हालत में महिला पर पेशाब किया था.