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फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की पुलिस रिमांड के खिलाफ HC में हुई सुनवाई, दिल्ली पुलिस से 2 हफ्ते में मांगा जवाब

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने फैक्ट चैकर मोहम्मद जुबैर को 27 जून को गिरफ्तार किया था. मोहम्मद जुबैर पर सोशल मीडिया के जरिए धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप है. दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट ने सेक्शन 153 ए और 295 ए के तहत उन्हें अरेस्ट किया है. जुबैर की गिरफ्तारी के बाद से मामला सुर्खियों में है.

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मोहम्मद जुबैर को 27 जून को पुलिस ने किया था अरेस्ट (फाइल फोटो)
मोहम्मद जुबैर को 27 जून को पुलिस ने किया था अरेस्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 27 जून को Alt न्यूज के को-फाउंडर को किया था अरेस्ट
  • सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का है आरोप

Alt न्यूज के को-फाउंडर और फैक्ट चेकर मोहम्म्द जुबैर की पुलिस रिमांड को चुनौती देने वाली अर्जी पर शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट की एकल जज पीठ में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने जुबैर की गिरफ्तारी और पुलिस रिमांड की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर दिया है.

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HC ने पुलिस से 2 हफ्ते में जवाब मांगा है. वहीं जुबैर को प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए भी 1 हफ्ते का वक्त मिल गया है. अब मामले में अब 27 जुलाई को सुनवाई होगी. वहीं मोहम्मद जुबैर की कल दोपहर करीब 2 बजे पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी होगी.

जुबैर को बेंगलुरु ले जाने पर उठाया सवाल

सुनवाई में जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि मामला 2018 का है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने मामले में अभी कार्रवाई की है. ग्रोवर ने दिल्ली पुलिस द्वारा जुबैर को बेंगलुरु ले जाने पर भी सवाल उठाया. उनका कहना है कि उसे लाने ले जाने में पब्लिक का पैसा बेकार करने का क्या मतलब है जबकि यह बहुत अहम मामला नहीं है. ग्रोवर ने कोर्ट से कहा कि हम रिमांड का विरोध करते हैं. 

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निचली अदालत में क्यों नहीं करते अपील

इस दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि पुलिस और जांच एजेंसी सबूत जुटाने के लिए सारी कवायद कर रही हैं. अपराध कोई छोटा या बड़ा नहीं होता. इस पर ग्रोवर ने कहा कि इतने छोटे मामले में SG का शामिल होना बताता है कि इसके पीछे उद्देश्य क्या है.

जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि पुलिस कस्टडी की अवधि पूरी होने के बाद चूंकि यह मामला शनिवार को निचली अदालत में सुना जाएगा तो आप उचित अदालत में अपनी बात क्यों नहीं रखते? 

वकील ग्रोवर ने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है. क्या इस मामले में रिमांड की जरूरत थी? क्या जुबैर का पासपोर्ट, लैपटॉप लिया जा सकता है? यह एक पैटर्न बन गया है. एक छोटे से मामले में गिरफ्तारी क्यों? ट्वीट में ऐसा क्या है कि गिरफ्तारी की जाए.

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बिना किसी नोटिस के रिमांड में भेज दिया गया

जुबैर को 27 जून की शाम करीब 6:45 बजे गिरफ्तार किया गया. पुलिस के पास 24 घंटे के भीतर उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने का अधिकार है लेकिन उसी रात उन्हें 10 बजे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के घर ले जाया जाता है. 2018 के एक ट्वीट पर इस तरह गिरफ्तारी की गई. उन्हें बिना किसी नोटिस या रिमांड पेपर के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया गया. ड्यूटी मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ही एफआईआर की कॉपी मिली. मजबूरन जुबैर को ट्विटर पर सर्च करना पड़ा कि उस पर क्या आरोप है.

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मजिस्ट्रेट ही तय करेंगे रिमांड बढ़ाई जाए या नहीं

न्यायमूर्ति नरूला ने कहा कि चूंकि यह याचिका गुण-दोष के आधार पर है, इसलिए मुझे दूसरे पक्ष की सुनवाई करनी होगी. चूंकि रिमांड कल खत्म हो रही है इसलिए यह मजिस्ट्रेट को तय करना है कि रिमांड बढ़ाई जाए या जमानत दी जाए.

वहीं सुनवाई के बाद पुलिस ने बताया कि कोर्ट ने पुलिस रिमांड के आदेश को रद्द करने और जब्त किए गए सामान को वापस करने के मोहम्मद जुबैर के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया.

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