अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने खांडू पर अपने परिजनों को सरकारी ठेके दिलवाने के आरोपों की जांच नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी सीएजी से कराने का आदेश दिया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने बुधवार को ये आदेश दिया है.
दरअसल, जनवरी में पीठ ने कुछ गैर सरकारी संगठनों द्वारा दायर याचिका पर भारत संघ, राज्य सरकार, सीबीआई, खांडू और अन्य को नोटिस जारी किया था. उनमें मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग की गई है. मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली फर्मों को सार्वजनिक कार्यों के ठेके देने का आरोप याचिका में लगाया गया है.
याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने पिछली सुनवाई में पीठ को बताया था कि वर्तमान मुख्यमंत्री के पिता दोरजी खांडू से संबंधित ऐसी ही एक एसएलपी जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ के समक्ष लंबित है. दोरजी खांडू पर भी अपनी पारिवारिक कंपनियों को महत्वपूर्ण सार्वजनिक कार्यों के ठेके देने का आरोप लगाया गया था.
भूषण ने कोर्ट को बताया कि उस मामले में इन अनुबंधों को अदालत के समक्ष भी लाया गया है. मौजूदा मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परिवार के सदस्यों को सैकड़ों अनुबंध दिए गए. अक्टूबर में उन्होंने सीएजी से पूछा था कि आपके परिवार के सदस्यों को ठेके देने आदि के संबंध में क्या नियम हैं. सीएजी ने एक नोट भी दिया था.
याचिका के मुताबिक, पेमा खांडू के करीबी सहयोगियों को प्रमुख निविदाएं देने में कथित पक्षपात किया गया. पेमा खांडू की पत्नी की निर्माण कंपनी 'मेसर्स ब्रांड ईगल्स' भी शामिल है. इसके अतिरिक्त, पेमा के भतीजे और तवांग के विधायक त्सेरिंग ताशी की फर्म मेसर्स एलायंस ट्रेडिंग कंपनी को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ही सरकारी ठेका दिया गया. याचिका में मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई या विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित कर जांच कराने का अनुरोध किया गया है.