ये जबान ही आदर सम्मान दिलवाती है और अपमान, दंड भी. दिल्ली की एक महिला को भी अपनी बदजबानी के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. महिला ने कोर्ट की गरिमा के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अपशब्द कहे. दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने एक मामले में अनिता कुमारी गुप्ता की कोर्ट के प्रति की गई अभद्र टिप्पणी के बाद उसके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का फैसला किया है.
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किस्सा दिल्ली हाईकोर्ट का है. कोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में रह रही आरोपी अनिता गुप्ता को 16 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने आरोपी महिला का पासपोर्ट और वीजा भारत आते ही जब्त कर लेने का आदेश दिल्ली पुलिस के FRRO यानी क्षेत्रीय विदेशी नागरिक निबंधन अधिकारी को दिया है.
महिला ऑनलाइन वीडीओ कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुई थी
मामला दिल्ली हाईकोर्ट में दस जनवरी 2024 का है, जहां एक महिला जज पीठ पर रोजमर्रा के मामलों की सुनवाई कर रही रहीं थीं. हाइब्रिड सुनवाई के दौरान आरोपी महिला ऑनलाइन वीडीओ कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुई थी. उस समय तकनीकी कारणों से पीठ ने मुकदमा संख्या दस से पहले पीठ ने मुकदमा नंबर 11 की सुनवाई शुरू कर दी.
महिला ने माइक पर दे दिया गाली
इस महिला का माइक चालू था. महिला बोल पड़ी कि ऐसा कैसे हो गया. दस से पहले 11 कैसे आ गया? ये साली यहां कर क्या रही है? इस कोर्ट में ये क्या गड़बड़ हो रही है? ओह f***
जज समेत कोर्ट में मौजूद सभी लोगों ने सुन लिया. जज साहिबा ने अदालत की गरिमा का हनन करने वाले ऐसे बयान पर फौरन स्वत: संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है कि कोर्ट की अवमानना के अधिनियम 1971 के तहत क्यों न उसे समुचित दंड दिया जाय.
सिडनी से आकर कोर्ट में हाजिर होना होगा
अब महिला को सिडनी से आकर कोर्ट में हाजिर होना होगा. कोर्ट के सवालों के जवाब देने होंगे. देखें कोर्ट उसके जवाब और माफीनामे से कितना संतुष्ट होता है! अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अनिता गुप्ता को इस अदालत के निर्देश के बिना देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा स्थित भारतीय उच्चायोग को भी कोर्ट ने निर्देश दिया कि वह अदालत का ये आदेश अनीता कुमारी गुप्ता को दे. गुप्ता की टिप्पणी तब आई थी जब पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ईशान रॉय चौधरी और सुनील मेहता अपने मुक़ाबिल वकील संजीव महायान अंतिम बहस के लिए दी गई तारीख पर सहमत हो गए थे.