गुजरात दंगे और बाबरी मस्जिद से जुड़े मामलों पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिय है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ पुराने मामलों को बंद करने का फैसला किया है. यह निर्णय याचिकाकर्ता और मामले में आरोपी शख्स यानी की दोनों की मौत होने के बाद लिया गया है.
CJI के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि अब सिर्फ नरोदा पाटिया मामला ही लंबित है. इसमें भी सुनवाई अंतिम स्टेज पर चल रही है. अदालत ने एसआईटी से इसे निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए कदम उठाने को कहा है.
दरअसल, 1992 में अयोध्या के श्रीरामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद अधिकारियों और अन्य के खिलाफ अवमानना का केस लगाया गया था. इस पर मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हई.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समय बीतने के साथ और अयोध्या पर 2019 में आए सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ के फैसले को देखते हुए अब अवमानना के मामले को आगे नहीं चलाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि समय बीतने के साथ मामले अब निष्फल हो गए हैं. 9 में से 8 मामलों में ट्रायल खत्म हो गया है.
कौन से मामले किए गए बंद
- अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा गिराने पर शुरू अवमानना के सभी मामले बंद किए.
- SIT जांच के लिए लंबित सभी केस बंद कर दिए गए हैं.
- SC ने नोट किया कि समय बीतने के साथ और 2019 के अयोध्या फैसले को देखते हुए मामला कहीं नहीं टिकता.
राज्य सरकार ने दी थी रथ यात्रा की अनुमति
दरअसल, तात्कालीन यूपी सरकर पर आरोप था कि राज्य सरकार ने ही रथ यात्रा निकलने की अनुमति दी थी. सुरक्षा के आश्वासन के बावजूद बाबरी विध्वंस हुआ था. इस मामले में कोर्ट की अवमानना का केस लगाया गया था. इन मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दिया है. क्योंकि मामला 30 साल से ज्यादा पुराना है और याचिकाकर्ता तक की मौत हो चुकी है. हालांकि इसके कारण मस्जिद विध्वंस से जुड़े अन्य मामले प्रभावित नहीं होंगे.
3 जज की पीठ के सामने लिस्टेड था मामला
जस्टिस श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट पर ये मामला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एएस ओक और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था. पीठ ने कहा कि इस मामले में आए फैसले की रोशनी में हम इस मामले में कार्यवाही प्रक्रिया बंद कर रहे हैं.