scorecardresearch
 

उपद्रवियों की भीड़ में शामिल हुए तो फंसोगे, जानिए देश में Riots को लेकर क्या है कानून और सजा का प्रावधान

आईपीसी की धारा 159 में 'दंगा' की परिभाषा दी गई है. इसके मुताबिक, किसी सार्वजनिक स्थान पर जब दो या उससे ज्यादा व्यक्ति लड़ते हैं और सार्वजनिक शांति में बाधा डालते हैं तब कहा जाता है कि वो दंगा करते हैं. कानून में इसको लेकर स्पष्ट प्रावधान बनाए गए हैं.

Advertisement
X
रामनवमी के दिन बिहार और बंगाल के कई इलाकों में आगजनी और हिंसक घटनाएं हुईं. (फोटो क्रेडिट- Vani Gupta/aajtak.in)
रामनवमी के दिन बिहार और बंगाल के कई इलाकों में आगजनी और हिंसक घटनाएं हुईं. (फोटो क्रेडिट- Vani Gupta/aajtak.in)

बिहार और पश्चिम बंगाल रामनवमी से हिंसा की आग में जल रहे हैं. दोनों ही राज्यों में 30 मार्च को हिंसा हुई थी, तब से ही वहां तनाव है.

Advertisement

बिहार के रोहतास जिले के सासाराम और नालंदा जिले के बिहारशरीफ में हिंसा हुई थी. पुलिस ने सांप्रदायिक हिंसा की बात कही है. वहीं, बंगाल के हुगली जिले के रिश्रा और सीरमपुर में हिंसा हुई थी. हालांकि, दोनों ही राज्यों की पुलिस ने हालात काबू में होने का दावा किया है.

बिहार में हुई हिंसा के मामले में अब तक 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं, पश्चिम बंगाल में भी कई गिरफ्तारियां हुईं हैं. 

बिहार के डीजीपी ने बताया पहली नजर में रामनवमी के दिन हुईं घटनाएं सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश थी. जबकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर दंगे भड़काने का आरोप लगाया है. 

बहरहाल, दोनों ही राज्यों में पुलिस दंगा-फसाद और हिंसा करने वालों की पहचान कर रही है. ऐसे में जानते हैं दंगों पर क्या है कानून? और अगर आप भी किसी उकसावे में आकर ऐसी किसी हिंसा या दंगे का हिस्सा बनते हैं तो क्या एक्शन हो सकता है?

Advertisement

दंगा किसे कहेंगे?

इंडियन पीनल कोड यानी आईपीसी की धारा 159 में 'दंगा' की परिभाषा दी गई है. इसके मुताबिक, किसी सार्वजनिक स्थान पर जब दो या उससे ज्यादा व्यक्ति लड़ते हैं और सार्वजनिक शांति में बाधा डालते हैं तब कहा जाता है कि वो दंगा करते हैं.

वहीं, आईपीसी की धारा 160 में दंगा करने पर सजा का प्रावधान है. इसके तहत, अगर कोई व्यक्ति दंगा करने का दोषी पाया जाता है तो उसे एक महीने की जेल या 100 रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, 2012 से 2021 के बीच 10 साल में देशभर में दंगों के साढ़े 6 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. 

और क्या एक्शन हो सकता है?

आईपीसी की धारा 146 में 'बलवा करना' को परिभाषित किया गया है. अगर किसी जगह पर कोई जमावड़ा होता है और उसका मकसद बल या हिंसा का प्रयोग करना है तो ऐसे जमावड़े में शामिल हर व्यक्ति बलवा करने के अपराध का दोषी होगा.

जो भी व्यक्ति बलवा करने का दोषी पाया जाएगा, उसे आईपीसी की धारा 147 के तहत दो साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

अगर घातक हथियारों से बलवा किया जाता है या किसी ऐसे हथियार का इस्तेमाल होता है जिससे किसी की मौत होने की आशंका हो तो ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

Advertisement

इतना ही नहीं, आईपीसी की धारा 149 कहती है कि बलवे के दौरान उसमें जो लोग शामिल होंगे, वो सभी समान अपराध के दोषी होंगे. इसे ऐसे समझिए कि बलवा करते समय जो भी अपराध होगा, उसका दोष उसमें शामिल सभी लोगों पर लगेगा, फिर चाहे वो उन्होंने किया हो या नहीं. 

दंगा या बलवा एक ही है?

आईपीसी के तहत दंगा या बलवा करना एक ही तरह का अपराध है. हालांकि, कुछ बातें हैं जो दंगा और बलवा को अलग-अलग बनाती हैं. 

जैसे- दंगा सिर्फ सार्वजनिक स्थान पर होता है जबकि बलवा सार्वजनिक या निजी किसी भी जगह पर हो सकता है. इसी तरह दंगे में दो या उससे ज्यादा लोग शामिल होते हैं, जबकि बलवा करना तब माना जाता है जब उसमें पांच या उससे ज्यादा लोग शामिल हों.

 

Advertisement
Advertisement