राजधानी दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा 35 केंद्रीय मंत्री, 12 राज्यों के मुख्यमंत्री समेत बीजेपी के तमाम बड़े नेता इस बैठक में मौजूद हैं. इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष को जमकर घेरा.
निर्मला सीतारमण ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि कई मुद्दों पर उन्होंने जो आरोप लगाए थे, उसका उन्हें कोई फायदा नहीं मिला.
सीतारमण ने कहा, 'पेगासस, राफेल, ईडी, सेंट्रल विस्टा, आरक्षण और नोटबंदी... ये वो मुद्दे हैं जिनपर विपक्ष ने निराधारा दावों के जरिए प्रधानमंत्री पर आरोप लगाए, लेकिन उन्हें अदालत का सामना करना पड़ा.'
इस बयान के पीछे सीतारमण ये बताने की कोशिश कर रही थीं कि विपक्ष ने झूठे आरोप लगाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया.
विपक्ष नोटबंदी पर सवाल उठाता था, लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने उसे सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि नोटबंदी जल्दबाजी में लिया फैसला नहीं है. इसी तरह आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए थे, लेकिन इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी.
वो मुद्दे, जिन पर विपक्ष को लगा 'सुप्रीम' झटका
1. नोटबंदी
- मामलाः 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया. नोटबंदी से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट चलन से बाहर हो गए.
- विपक्ष के आरोपः नोटबंदी को गलत आर्थिक फैसला बताया. आरोप लगाया कि इससे अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी. साथ ही ये भी आरोप लगाया कि सरकार ने बगैर आरबीआई के सलाह-मशविरे के अचानक 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए थे.
- सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहाः पांच जजों की बेंच ने 4:1 से नोटबंदी को सही ठहराया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी को इसलिए गलत नहीं ठहरा सकते, क्योंकि वो फैसला सरकार ने लिया था. रिकॉर्ड्स बताते हैं कि नोटबंदी से पहले सरकार और आरबीआई के बीच 6 महीने तक बातचीत हुई थी.
2. आर्थिक आरक्षण
- मामलाः 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने संविधान में 103वां संशोधन किया और गरीब सवर्णों को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10% आरक्षण का प्रावधान किया.
- विपक्ष के आरोपः विपक्षी पार्टियों ने इसे चुनावी दांव बताया था. कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने इसका समर्थन किया था. लेकिन आरजेडी, डीएमके, मुस्लिम लीग ने संसद में बिल का विरोध किया था तो आम आदमी पार्टी, सीपीआई और अन्नाद्रमुक ने वॉकआउट कर दिया था. उनका आरोप था कि ये फैसला संविधान का उल्लंघन करता है.
- सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहाः पांच जजों की बेंच ने 3:2 से आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10% आरक्षण देने को सही माना. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण न सिर्फ आर्थिक और सामाजिक वर्ग से पिछड़े लोगों को बल्कि वंचित वर्ग को भी समाज में शामिल करने में अहम भूमिका निभाता है. इसलिए EWS कोटा संवैधानिक रूप से सही है.
3. पेगासस
- मामलाः 2021 में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि 2017 में भारत ने इजरायल से जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस खरीदा था. इससे भारत सरकार ने 300 लोगों की जासूसी की. दावा था कि राहुल गांधी और प्रशांत किशोर की जासूसी भी की गई.
- विपक्ष के आरोपः पेगासस के जरिए राहुल गांधी की जासूसी होने का दावा जब किया गया तो कांग्रेस हमलावर हो गई. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ऐसा करना न सिर्फ देशद्रोह है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी है. कांग्रेस ने जासूसी में प्रधानमंत्री की भूमिका की जांच की मांग भी की थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहाः मामला जब अदालत में पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों की कमेटी का गठन कर दिया. इस कमेटी ने पिछले साल अगस्त में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जांच के लिए कमेटी को 29 फोन दिए गए थे, जिनमें से पांच में मैलवेयर थे, लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि जासूसी की गई.
4. राफेल
- मामलाः सितंबर 2016 में भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का सौदा हुआ. ये डील 58 हजार करोड़ रुपये में हुई.
- विपक्ष के आरोपः कांग्रेस ने राफेल डील पर मोदी सरकार को जमकर घेरा. इसे सबसे बड़ा रक्षा घोटाला बताया और इसकी स्वतंत्र जांच की मांग की. कांग्रेस का दावा था कि मोदी सरकार ने एक राफेल 1600 करोड़ में खरीदा, जबकि यूपीए सरकार की डील में एक लड़ाकू विमान की कीमत 600 करोड़ रुपये थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहाः दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया और विपक्ष की ओर से डील में गड़बड़ी के आरोपों को खारिज कर दिया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस सौदे की सीबीआई जांच की मांग को भी खारिज कर दिया. कोर्ट ने साफ कर दिया कि ऐसा सबूत नहीं मिला है जिससे कहा जा सके कि सरकार ने किसी निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के मकसद से फ्रांस से समझौता किया.
5. ED की पावर
- मामलाः कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की जांच चल रही है. विपक्ष अक्सर ED पर केंद्र के दबाव में काम करने का आरोप लगाता रहा है.
- विपक्ष के आरोपः कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां ED के राजनीतिक इस्तेमाल होने का आरोप लगाती रहतीं हैं. विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपने फायदे के लिए ED का इस्तेमाल कर रही है. विपक्ष दावा करता है कि ED जबरन नेताओं को गिरफ्तार करती है और उनकी संपत्तियां जब्त करती है.
- सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहाः ED के अधिकारों को लेकर पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि ED का किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करना, उसकी संपत्ति जब्त या कुर्क करना, छापा मारना कानूनन सही है.
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6. सेंट्रल विस्टा
- मामलाः इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन से राजपथ के दोनों ओर के क्षेत्र को सेंट्रल विस्टा कहते हैं. मोदी सरकार इसे नए सिरे से विकसित कर रही है. नई संसद भी बन रही है, जिसकी लागत 970 करोड़ रुपये है.
- विपक्ष के आरोपः सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस प्रोजेक्ट को 'आपराधिक बर्बादी' बताया था. कोविड की दूसरी लहर के वक्त लगे लॉकडाउन में भी जब इसका काम चल रहा था, तब राहुल गांधी ने कहा था कि इस पैसे से हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती थीं.
- सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहाः जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2:1 से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी थी. कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा के लिए पर्यावरण क्लियरेंस और लैंड यूज में बदलाव के नोटिफिकेशन को सही ठहराया था.
7. EVM और VVPAT
- मामलाः चुनावों में हार के बाद कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां EVM के साथ छेड़छाड़ होने का आरोप लगाती रहती हैं.
- विपक्ष के आरोपः 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर मांग की थी कि हर विधानसभा क्षेत्र के 50 फीसदी वोटों को VVPAT से मिलाया जाए.
- सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहाः 8 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में चुनाव आयोग को हर विधानसभा में पांच EVM का VVPAT से मिलान करने का आदेश दिया था. 21 विपक्षी पार्टियों ने जब पुनर्विचार याचिका दायर की तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.