बॉम्बे हाई कोर्ट अगले सप्ताह, फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर रहे अब्दुल गफ्फार खान की बीमार पोती ज़रीन गनी वाल्श के मामले में सुनवाई करेगा. दरअसल फ्रंटियर गांधी के ग्रैंडसन ने उन्हें पाकिस्तान ले जाने के लिए याचिका दायर की थी. जरीन के 40 वर्षीय भतीजे मशल खान ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि उन्हें ज़रीन का लीगल गार्जियन बनाया जाए. 76 साल की ज़रीन गनी वाल्श भारत में जन्मी कनाडाई नागरिक हैं. ये भारत में 1983 से रह रही हैं. वाल्श, अब्दुल गफ्फार खान के बड़े बेटे की बेटी हैं. मशल, जरीन के स्वर्गीय भाई के बेटे हैं.
मशल खान ने भारतीय संविधान के आर्टिकल 226 के तहत याचिका दायर करते हुए खुद को जरीन का गार्जियन और उनकी प्रॉपर्टी की देखभाल करने का अधिकार मांगा है. दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में ज़रीन के अकाउंटेंट को भी उनके भतीजे द्वारा दायर की गई याचिका में बतौर पार्टी जुड़ने के लिए आदेश दिया था.
पिछली सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पीएच कंथारिया ने जस्टिस केके टेटेड और जस्टिस पीके चव्हाण की डिविजन बेंच को कहा कि वाल्श ने दो लोगों को पावर ऑफ अटॉर्नी दिया था. मशल और अकाउंटेंट दिनशॉ संजना को. इसलिए इस सुनवाई में संजना को जरूरी पार्टी बनाना होगा.
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इसके साथ ही यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने कोर्ट को कहा है कि वाल्श का ज्वाइंट अकाउंट है. जिसमें दो और लोग भी साझेदार हैं, संजना और मोनिका घोष (वाल्श की बचपन की दोस्त). इसलिए मशल की याचिका के संदर्भ में इन दोनों पार्टियों से भी पूछा गया है.
वकील के मुताबिक संजना और घोष ने भी इस विवाद में मशल का समर्थन किया है. क्योंकि वाल्श बहुत कमजोर हो चुकी हैं.