हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों के चुनाव की प्रक्रिया (कॉलेजियम) में सरकार की नुमाइंदगी को लेकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान उठी बातें अब औपचारिक रिकॉर्ड पर भी आ गई हैं. अभी तक कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना में संसद में मंत्रियों या पीठासीन माननीयों के बयान या इंटरव्यू ही सामने आ रहे थे, लेकिन अब सरकार की मंशा सीधे संवाद में बदल गई है.
केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस (CJI) को इस मुद्दे पर चिट्ठी लिखी है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के शीर्षस्थ जजों के कॉलेजियम में कार्यपालिका को शामिल करने के मुद्दे पर SC में सुनवाई हुई थी. इस मुद्दे पर पिछली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि इसमें सरकार की भी नुमाइंदगी होनी चाहिए, ताकि संतुलन रहे.
दूसरी ओर निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति में और पारदर्शिता के लिए भी सुप्रीम कोर्ट नियुक्ति प्रक्रिया में अपना दखल चाहता है. जजों की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए केंद्र सरकार का राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून सुप्रीम कोर्ट से अवैध करार देकर रद्द किए जाने के बाद बीच का रास्ता निकालने की प्रक्रिया अब तक लंबित पड़ी है.
सरकार ने SoP (Standard operating procedure) का मसौदा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रमुख चीफ जस्टिस को भेजा था. लेकिन सूत्रों के मुताबिक अब तक वो चीफ जस्टिस तक नहीं पहुंचा. सूत्रों के मुताबिक वो मसौदा रजिस्ट्रार जनरल के जरिए भेजा गया था. लेकिन कोर्ट को सीधा कम्युनिकेशन चाहिए था. बात वहीं अटकी पड़ी है. लेकिन सरकार ने ये चिट्ठी सीधे-सीधे चीफ जस्टिस को भेजी है.
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जजों के चुनाव और नियुक्ति की सिफारिश के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के मुताबिक 25 सालों से दो स्तरीय कॉलेजियम सिस्टम ही अमल में है. उधर सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के मुताबिक विवाद गहराता ही जाएगा, क्योंकि चिट्ठी पत्री से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सरकार की इस पेशकश पर कतई राजी नहीं होगा. कोर्ट इस बाबत कई बार कह चुका है कि जब तक कॉलेजियम सिस्टम अस्तित्व में है सरकार को उसे मानना ही होगा.