केंद्र ने कहा है कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे. इस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल किया है. केंद्र सरकार ने जबरन धर्मांतरण से जुड़ी याचिकाओं पर जवाब दाखिल करते हुए ये जवाब दिया है. केंद्र ने कहा है कि सरकार मुद्दे की गंभीरता से अवगत है. केंद्र ने अपने जवाब में कहा है कि धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में दूसरे लोगों को धर्मांतरित करने का अधिकार शामिल नहीं है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है. याचिका में केंद्र और राज्यों को जबरन या धोखाधड़ी के जरिए धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के लिए कानून बनाने की मांग की गई है. इस याचिका पर जस्टिस शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय का दावा है कि यह समस्या पूरे देश में है.
जबरन धर्मांतरण गंभीर मामला- जस्टिस एमआर शाह
इस मामले में 14 नवंबर को पिछली सुनवाई हुई थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और एक अहम टिप्पणी की थी. SC में जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि ये एक बहुत ही गंभीर मामला है. सभी को धर्म चुनने का अधिकार है लेकिन जबरन धर्मांतरण से नहीं. ये बहुत ही खतरनाक है.
जस्टिस एमआर शाह ने कहा था कि ये देश की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है. अगर कोई स्वेच्छ से धर्मांतरण करता है तो उसमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर उनको किसी भी दूसरे ढंग से धर्मांतरण कराया जाता है तो इस पर केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना होगा.