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'केंद्र और राज्य सरकार के बीच न हो कोई मुकाबला', कर्नाटक की याचिका पर बोला सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कई राज्य सरकारों ने केंद्र से राहत की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. पीठ ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कर्नाटक सरकार की याचिका पर निर्देश लेने और दो सप्ताह में अदालत में वापस आने को कहा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को 1 हफ्ते का समय दिया है
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को 1 हफ्ते का समय दिया है

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सूखा राहत प्रबंधन के लिए वित्तीय सहायता की मांग करने वाली कर्नाटक राज्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मुकाबला नहीं होनी चाहिए. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा, ''राज्य और केंद्र के बीच मुकाबला नहीं होनी चाहिए.'' 

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कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कई राज्य सरकारों ने केंद्र से राहत की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. पीठ ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कर्नाटक सरकार की याचिका पर निर्देश लेने और दो सप्ताह में अदालत में वापस आने को कहा है.

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि राज्य सरकार को याचिका दायर करने के बजाय केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए थी. उन्होंने इन याचिकाओं के समय पर भी सवाल उठाया.

वहीं कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, "कानून के तहत केंद्र को अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम बनने के एक महीने के भीतर एनडीआरएफ से राज्य को सहायता पर निर्णय लेना था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया."

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कर्नाटक सरकार ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से केंद्र को तुरंत अंतिम निर्णय लेने और राज्य को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष से वित्तीय सहायता जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया.

याचिका में यह घोषित करने की भी मांग की गई है कि सूखे की व्यवस्था के लिए वित्तीय सहायता जारी न करने की सरकार की कार्रवाई भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत कर्नाटक राज्य के लोगों के मौलिक अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है. अपनी याचिका में, कर्नाटक सरकार ने कहा कि सूखा प्रबंधन के लिए मैनुअल के तहत, केंद्र सरकार को अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) बनने के एक महीने के भीतर एनडीआरएफ से राज्य को सहायता पर अंतिम निर्णय लेना आवश्यक है.

याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक गंभीर सूखे से जूझ रहा है, जिससे नागरिकों का जीवन प्रभावित हो रहा है.

कर्नाटक सरकार ने अपनी याचिका में कहा, "खरीफ 2023 सीज़न के लिए सूखा प्रबंधन मैनुअल 2020 के सभी संकेतकों को पूरा करने के बाद 236 तालुकों में से कुल 223 को खरीफ 2023 के दौरान सूखा प्रभावित घोषित किया गया है, जिसमें 196 तालुकों को गंभीर रूप से प्रभावित के रूप में वर्गीकृत किया गया है और शेष 27 को मध्यम रूप से प्रभावित के रूप में सूखा प्रभावित के रूप में वर्गीकृत किया गया है. दक्षिण-पश्चिम मानसून (एसडब्ल्यूएम) 5 जून की सामान्य शुरुआत के मुकाबले 10 जून 2023 को कर्नाटक पहुंचा.
इसके बाद एसडब्ल्यूएम धीरे-धीरे आगे बढ़ा और 15 जून की सामान्य कवरेज तिथि के मुकाबले 24 जून को पूरे राज्य को कवर किया. जून के दौरान मानसून की धीमी प्रगति के साथ शुरुआत में देरी के परिणामस्वरूप मलनाड जिलों और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक जिलों में बारिश की भारी कमी दर्ज की गई.'' 

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कर्नाटक सरकार ने कहा कि चूंकि कृषि राज्य के एक बड़े वर्ग के लिए आजीविका का प्राथमिक स्रोत है, इसलिए वर्तमान सूखे की स्थिति ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे पैदावार कम हुई है, किसानों की आय कम हो गई है और पशुधन प्रभावित हुआ है. राज्य में कुल फसल क्षति अनुमानित नुकसान 35,162.05 करोड़ रुपये है और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत भारत सरकार से 18,171.44 करोड़ रुपये की सहायता मांगी गई है."

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