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मैटरनिटी एक्ट के प्रावधान को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट बोला- जरूरी केस है, जुलाई में करेंगे सुनवाई

मैटरनिटी एक्ट के प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. गोद लेने वाली माताओं के लिए मातृत्व अवकाश नियमों में बदलाव की मांग की गई है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट इस जनहित याचिका पर सुनवाई की. बता दें कि गोद लेने वाली मां को 12 सप्ताह का मातृत्व लाभ मिलता है. जबकि जन्म देने वाली माताओं को 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश का लाभ मिलता है.

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मैटरनिटी एक्ट के प्रावधान को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. (फाइल फोटो)
मैटरनिटी एक्ट के प्रावधान को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने मातृत्व लाभ अधिनियम के एक प्रावधान को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. इस प्रावधान में कहा गया है कि गोद लेने वाली माताएं सिर्फ तभी मातृत्व अवकाश की पात्र होंगी, जब वे 3 महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेती हैं. सुप्रीम कोर्ट में याचिका कर्ता के वकील ने संशोधन को लेकर चिंता जताईं और कहा- यह संशोधन 2017 में किया गया था.

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सुनवाई के दौरान CJI ने कहा- मां की सबसे ज्यादा उम्र कितनी होती है? बाल मातृत्व का लाभ उम्र के बावजूद दिया जाना चाहिए. इस पर वकील ने कहा- वेतन के साथ 26 सप्ताह का अवकाश और अन्य सभी लाभ मिलना चाहिए. CJI ने कहा- हम जुलाई में इस मुद्दे को विस्तार से देखेंगे. यह एक महत्वपूर्ण मामला है.

'सुनवाई के लिए हुआ था सहमत सुप्रीम कोर्ट'

इससे पहले 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधान को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के लिए सहमति दी थी. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा मामले को जल्द सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया गया, जिसके बाद इस मामले को 28 अप्रैल को सुनवाई होगी.

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'प्रावधान को बताया गया है मनमाना और भेदभावपूर्ण'

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. याचिका में कहा गया था यह प्रावधान दत्तक माताओं के प्रति भेदभावपूर्ण और मनमाना है. याचिकाकर्ता हंसानंदिनी नंदूरी ने मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 5(4) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है, जिसके अनुसार, किसी महिला को 12 सप्ताह के मातृत्व लाभ का लाभ उठाने के लिए तीन महीने से कम उम्र के बच्चे का दत्तक माता-पिता होना चाहिए.

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याचिका में कहा गया है कि तीन महीने से ज्यादा उम्र के अनाथ, परित्यक्त या सरेंडर करने वाले बच्चे को गोद लेने वाली मां के लिए मातृत्व अवकाश का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए धारा 5(4) न केवल जन्म देने वाली मां और दत्तक माताओं के बीच, बल्कि गोद लिए गए बच्चों के बीच भी भेदभाव करती है.

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'अभी गोद लेने वाली मां को 12 सप्ताह का मिलता है अवकाश'

याचिका में जन्म देने वाली माताओं की तुलना में दत्तक माताओं को प्रदान किए जाने वाले मातृत्व अवकाश की अवधि पर भी आपत्ति जताई गई है. गोद लेने वाली मां को 12 सप्ताह का मातृत्व लाभ मिलता है, लेकिन जन्म देने वाली माताओं को 26 सप्ताह का मातृत्व लाभ मिलता है.

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