दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान चैटजीपीटी के जवाबों पर भरोसा करने से इनकार किया. दरअसल अदालत ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब वो लक्जरी ब्रांड क्रिश्चियन लॉबाउटिन द्वारा एक जूता निर्माता और विक्रेता के खिलाफ उसके जूते के डिजाइन की नकल करने के लिए दायर मुकदमे पर सुनवाई कर रहे थे. चैटजीपीटी का मतलब चैट जेनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर है, यह एक भाषा मॉडल-आधारित चैटबॉट है जो पहले से मौजूद कंटेंट के आधार पर नतीजे देता है.
दिल्ली HC ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि चैटजीपीटी किसी अदालत में कानूनी या तथ्यात्मक मुद्दों के निर्णय का आधार नहीं हो सकता. न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह की पीठ ने बताया कि एआई चैटबॉट्स द्वारा गलत नतीजे सामने आने की पूरी संभावनाएं हैं.
पंजाब और हरियाणा HC पहले ही कर चुकी है एक्सपेरिमेंट
दिलचस्प बात यह है कि इस साल की शुरुआत में, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जमानत पर न्यायशास्त्र को समझने के लिए चैटजीपीटी से जवाब मांगा था, जब हमलावरों ने क्रूरता से हमला किया था. न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया था कि इसका उद्देश्य केवल जमानत न्यायशास्त्र की एक व्यापक तस्वीर पेश करना था, जहां क्रूरता एक कारक है और चैटजीपीटी का कोई भी संदर्भ न तो मामले की योग्यता पर राय की अभिव्यक्ति थी और न ही ट्रायल कोर्ट इन पर विज्ञापन देगा.
अदालत में कैसे उठा चैट जीपीटी का मु्द्दा
आज ये टिप्पणियां जूतों के निर्माण और बिक्री में शामिल एक साझेदारी फर्म मैसर्स शू बुटीक (शुटिक) के खिलाफ क्रिश्चियन लॉबाउटिन द्वारा दायर एक मुकदमे का फैसला करते समय की गई थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि वे समान गेट अप के साथ समान रूप से डिजाइन किए गए जूते का निर्माण कर रहे हैं. क्रिश्चियन लॉबाउटिन के अनुसार, प्रतिवादी ने जूते के डिजाइन की हूबहू नकल की है. अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि क्रिश्चियन लॉबाउटिन ने जो प्रतिष्ठा हासिल की है, उसका मूल्यांकन चैट जीपीटी क्वेरी के आधार पर भी किया जा सकता है जो उनके द्वारा रखी गई थी.
हालांकि, अदालत ने बताया कि जब CHAT GPT पर दो अलग-अलग प्रश्न पूछे जाते हैं, तो दो अलग-अलग उत्तर सामने आते हैं. पूछे गए प्रश्न उन ब्रांडों के संबंध में थे जो बाहरी बॉडी पर स्पाइक्स और स्टड वाले जूते बनाने और बेचने के लिए जाने जाते हैं. हालांकि दोनों उत्तरों में ब्रांड के नाम अलग-अलग थे. जहां एक उत्तर में 3 ब्रांडों का नाम दिया गया, वहीं दूसरे उत्तर में 10 का नाम दिया गया.
ChatGPT के बारे में HC ने क्या कहा
अदालत ने चैटजीपीटी से इन विभिन्न प्रतिक्रियाओं का उल्लेख किया जिन पर वादी द्वारा भरोसा किया जा रहा था और कहा कि यह दर्शाता है कि उक्त उपकरण कानून की अदालत में कानूनी या तथ्यात्मक मुद्दों के निर्णय का आधार नहीं हो सकता है. अदालत के अनुसार, AI बॉट से सामने आए इस डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता अभी भी स्पष्ट नहीं है.
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि AI कभी इंसानी दिमाग की जगह नहीं ले सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बॉट का अधिकतम इस्तेमाल शुरुआती समझ या शुरुआती रिसर्च के लिए किया जा सकता है और इससे अधिक कुछ नहीं. जहां तक मामले की योग्यता का सवाल है, अदालत ने आगे कहा कि क्रिश्चियन लॉबाउटिन की प्रतिष्ठा और सद्भावना के बल पर नकल करने और मौद्रिक रूप से लाभ उठाने का स्पष्ट इरादा रहा है. लेकिन अदालत जूतों के अवलोकन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची.
अदालत ने पाई जूतों में नकल
न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रतिवादी के प्रोडक्ट क्रिश्चियन लॉबाउटिन के विशिष्ट जूतों के जैसे ही हैं. अदालत के अनुसार, प्रतिवादी ने क्रिश्चियन लॉबाउटिन जूते की सभी जरूरती विशेषताओं जैसे 'रेड सोल', 'स्पाइक्ड शू स्टाइल' और उसके प्रिंट की नकल की है. अदालत ने कहा कि नकल एक या दो डिजाइनों की नहीं बल्कि बड़ी संख्या में डिजाइनों की है और प्रतिवादी का उद्देश्य और कुछ नहीं बल्कि अपने सामान को क्रिश्चियन लॉबाउटिन के सामान के रूप में पेश करने की एक कोशिश है.