ChatGPT को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है. इस एक टूल ने लोगों के हर सवाल का सरल जवाब ढूंढ निकाला है. इसी वजह से अब आम लोगों के अलावा कोर्ट में भी ChatGPT का इस्तेमाल शुरू हो चुका है. ये पहल सबसे पहले पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में देखने को मिली है जहां पर एक आरोपी की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते वक्त ChatGPT का भी इस्तेमाल किया गया.
असल में कोर्ट 27 मार्च को आरोपी जसविंदर सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था. उसे साल 2020 में हत्या, साजिश करने और धमकाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उसी मामले में सोमवार को कोर्ट सुनवाई कर रहा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस अनूप चितकारा एक समय ये जानना चाहते थे कि पूरी दुनिया में जमानत देने को लेकर क्या मापदंड तय किए हैं. वे अपनी सोच के दायरे को बढ़ाने के लिए इस सवाल का जवाब चाहते थे. अब मन में सवाल आया तो जज चितकारा ने बिना समय गंवाए ChatGPT का इस्तेमाल किया. उन्होंने ChatGPT से पूछा कि जब हमलावरों ने क्रूरता से हमला किया हो तो जमानत पर न्याय की किताब क्या कहती है?
अब इस एक सवाल पर ChatGPT ने जज चितकारा को एक विस्तृत जवाब दे दिया. ChatGPT ने कहा कि अगर आरोपी ने क्रूरता के साथ हमला किया है, उस स्थिति उस देश का कानून और वर्तमान परिस्थिति देखने के बाद जमानत पर फैसला सुनाया जाएगा. अगर कोई आरोपी हत्या जैसे अपराध में शामिल है, तब जज बेल देने पर कम इच्छुक हो सकते हैं. अब चैट जीपीटी ने अपने जवाब में इस बात पर भी जोर दिया कि जमानत हर शख्स का अधिकार है और जब तक याचिका खारिज करने का ठोस कारण ना मिले, आरोपी को बेल दे देनी चाहिए.
कोर्ट ने चैट जीपीटी के इस जवाब को सुना, फिर अपने विचार रखे और आरोपी जसविंदर सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने दो टूक कहा है कि आदेश देते वक्त ChatGPT के जवाब को आधार नहीं बनाया गया है. सिर्फ दृष्टिकोण को बड़ा करने के लिए उस टूल का इस्तेमाल किया गया था.