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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लांड्रिंग केस रद्द किया, कहा-मामला ही नहीं बनता

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में कोई विधेय अपराध या अवैध गतिविधि नहीं हुई है. तो मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं बनता.

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सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से संबंधित मामले में आरोपियों को बड़ी राहत दे दी. शीर्ष कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायत आयकर अधिनियम के अपराध पर आधारित थी, यह PMLA के अनुसार शेड्यूल अपराध नहीं है. जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि यह कोई विधेय अपराध नहीं है, इसलिए अपराध की आय के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी नहीं बनता है. SC ने कहा कि संज्ञान लेने से पहले, विशेष अदालत को इस सवाल पर सोचना होगा कि क्या प्रथम दृष्टया PMLA की धारा 3 के तहत अपराध बनता है.

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को बताया कि जांच एजेंसी जांच के दौरान बरामद की गई अतिरिक्त सामग्री को ध्यान में रखते हुए आरोपी के खिलाफ नई शिकायत दर्ज कर सकती है. इससे पहले अदालत ने ED को निर्देश दिया था कि वह छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग केस में अनिल और यश टुटेजा सहित याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कठोर कदम न उठाए.

अदालत पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा द्वारा उनके खिलाफ आयकर छापे के आधार पर PMLA के तहत जांच शुरू करने के एजेंसी के कदम के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी. ED 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले की जांच कर रही है. मनी लॉन्ड्रिंग का मामला 2022 के आयकर विभाग के आरोप पत्र से सामने आया था.

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ED ने आरोप लगाया था कि CSMCL (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से खरीदे गए शराब मामले के आधार पर राज्य में डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई थी और देशी शराब को ऑफ-द-बुक बेचा जा रहा था. ED के मुताबिक, डिस्टिलर्स से कार्टेल बनाने और एक निश्चित बाजार हिस्सेदारी की अनुमति देने के लिए रिश्वत ली गई थी.

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