दिल्ली के छावला गैंगरेप केस में दोषी करार दिए गए तीन आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट से आरोपियों के बरी हो जाने के बाद इस फैसले पर सवाल उठने लगे. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग ने भी जोर पकड़ लिया था. अब सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी.
छावला गैंगरेप के आरोपियों को बरी करने, रिहा करने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के प्रस्ताव को कानून मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है. कानून मंत्रालय की मंजूरी के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में छावला गैंगरेप में दोषी करार दिए जा चुके आरोपियों की रिहाई के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर किए जाने का रास्ता साफ हो गया है.
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने छावला गैंगरेप और मर्डर केस में दोषी करार दिए जा चुके आरोपियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए एलजी को प्रस्ताव भेजा था. एलजी की मंजूरी के बाद ये प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा गया. कानून मंत्रालय की मुहर लगने के बाद अब इस मामले में दिल्ली सरकार एक से दो दिन में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी.
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने हाल ही में ये बताया कि उपराज्यपाल ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. उपराज्यपाल ने इस मामले में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की सेवाएं लेने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. बता दें कि दिल्ली के द्वारका के छावला इलाके में 9 फरवरी 2012 को 19 साल की एक लड़की की रेप के बाद हत्या किए जाने की घटना हुई थी.
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में युवती के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया. निचली अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ आरोपियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट से भी आरोपियों को राहत नहीं मिल सकी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया था बरी
हाईकोर्ट से भी जब राहत नहीं मिली तब छावला गैंगरेप केस में दोषी करार दिए गए आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया और सभी को बरी करने, रिहा करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए ये भी कहा था कि किसी को केवल संदेह के आधार पर दोषी करार दे देना सही नहीं है.