देश के नए चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस आर भट्ट की पीठ केरल के पत्रकार सिद्दिक कप्पन की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगी. कप्पनके खिलाफ यूपी पुलिस ने UAPA के तहत अपराधिक साजिश मुकदमा दर्ज कराया है. यूएपीए और राजद्रोह जैसे सख्त कानूनों के तहत गिरफ्तार पत्रकार कप्पन ने मथुरा कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन निराशा हो हाथ लगी.
हाथरस रेप कांड के बाद कानून व्यवस्था में और गड़बड़ी पैदा करने के आरोप में पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को मथुरा पुलिस ने 5 अक्टूबर 2020 को उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह दलित लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए हाथरस के गांव जा रहे थे. पीड़ित लड़की की सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई थी. कप्पन को शांति भंग करने की आशंका पर गिरफ्तार किया गया था. बाद में सुराग मिलने के बाद उन पर राजद्रोह सहित UAPA की कई धाराओं में आरोप लगा दिए गए.
कप्पन की बेटी बोली- मेरे पिता की आज़ादी छीन
पिछले दिनों कप्पनी की नौ साल की बेटी मेहनाज ने स्वतंत्रता दिवस पर एक भाषण दिया, जो खूब वायरल हुआ. उसे अपने भाषण में कहा- मैं मेहनाज कप्पन हूं. पत्रकार सिद्दीक कप्पन की बेटी, भारत का ऐसा नागरिक जिसकी स्वतंत्रता छीन कर उसे एक अंधेरे कमरे में रहने को मजबूर किया गया है. उसने कहा कि हम जिस स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं, वह संघर्ष का परिणाम है. भारतीय नागरिकों की स्वतंत्रता उनसे नहीं छीनी जानी चाहिए.
जस्टिस यूयू ललित ने 27 अगस्त को ली CJI की शपथ
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उदय उमेश ललित ने शनिवार को देश के 49 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें सीजेआई पद की शपथ दिलाई. आज से ही उनका 74 दिनों का कार्यकाल शुरू हो जाएगा. जस्टिस ललित ने शपथ ग्रहण से एक दिन पहले निवर्तमान सीजेआई एनवी रमणा के विदाई समारोह में अपने कार्यकाल का विजन रखा और बताया कि वे किन तीन मसलों पर पूरी तरह फोकस रखेंगे.
इसमें मुकदमों को शीघ्र सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और व्यावहारिक बनाया जाएगा. अर्जेंट सुनवाई योग्य मुकदमों की मेंशनिंग की व्यवस्था सुचारू की जाएगी ताकि समुचित पीठ के सामने तुरंत मामला मेंशन किया जा सके. इस बाबत अर्जेंसी तय करने की भी प्रक्रिया स्क्रीनिंग का भी सिस्टम बनेगा. इसके अलावा संविधान की व्याख्या से जुड़े मामले बड़ी संख्या में लम्बित हैं. ऐसे में 5 या इससे ज्यादा संख्या में जजों की संविधान पीठ का गठन किया जाएगा. ये सुनिश्चित किया जाएगा कि कम से कम एक संविधान पीठ पूरे साल संविधान से जुड़े मुकदमे सुनती रहे.