सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल-370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. पांच जजों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एसके कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं.
सुनवाई के दौरान कोर्ट में J-K की पूर्व सीएम और जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती भी मौजूद हैं. इस मुद्दे पर याचिका पूर्व अलगाववादी नेता सज्जाद लोन की पार्टी जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस की तरफ से दी गई थी. इस मामले में पिछली सुनवाई 10 अगस्त को हुई थी.
तब शीर्ष अदालत के सामने यह बात रखी गई थी कि विलय के बाद जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता पूरी तरह से भारत संघ को सौंप दी गई. मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि संविधान में सहमति के कई पहलू हैं, लेकिन संसद की विधायी शक्ति पर बंधन लगाने से राज्यों पर भारत की संप्रभुता का प्रभुत्व कम नहीं हुआ है. बता दें कि केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस (JKPC) की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन इस मामले में बहस कर रहे हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में पांचवे दिन की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों की पीठ ने कहा था कि भारत में जम्मू कश्मीर का विलय परिपूर्ण था. भारत में कश्मीर का विलय बिना किसी शर्त के हुआ था. इस दौरान जम्मू कश्मीर बार एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जफर अहमद शाह ने आर्टिकल 370 लागू होने से पहले हुई घटनाओं के बारे में बताया था. कोर्ट ने कहा कि यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि आर्टिकल 370 के बाद भारत का संविधान जम्मू कश्मीर में संप्रभुता के कुछ तत्व बरकरार रखता है. जम्मू कश्मीर की संप्रभुता पूरी तरह से भारत को सौंप दी गई थी.
2019 में खत्म कर दिया गया था स्पेशल स्टेटस
केंद्र ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 के प्रावधानों में बदलाव कर जम्मू कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया था. इसके बाद से जम्मू कश्मीर अब देश के बाकी राज्यों जैसा हो गया है. पहले केंद्र सरकार का कोई भी कानून यहां लागू नहीं होता था, लेकिन अब यहां केंद्र के कानून भी लागू होते हैं. साथ ही जम्मू-कश्मीर में कई समुदायों को कई सारे अधिकार भी नहीं थे, लेकिन अब सारे अधिकार भी मिलते हैं. जम्मू कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश हैं. सरकार का कहना है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा.