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दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर के लिए पेड़ काटने पर SC ने लगाई रोक, मामला NGT को भेजा

सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर 26 नवंबर तक के लिए रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को नए सिरे से वैधता तय करने के भी निर्देश दिए हैं.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया एनजीटी का फैसला
  • कॉरिडोर के निर्माण से यात्रा में कम लगेगा समय

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और देश की राजधानी दिल्ली के बीच इकोनॉमिक कॉरिडोर एक्सप्रेस-वे से संबंधित याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का 6 अक्टूबर का आदेश रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला फिर से एनजीटी के पास भेज दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर 26 नवंबर तक के लिए रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को नए सिरे से वैधता तय करने के भी निर्देश दिए हैं. परियोजना के लिए 11 हजार से अधिक पेड़ काटे जाने थे. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने 6 अक्टूबर, 2021 को NGT की ओर से पारित किए गए आदेश के खिलाफ NGO 'सिटिजन्स फॉर दून' की ओर से दायर अपील पर ये आदेश दिया है. NGT ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे पर पेड़ों की कटाई की अनुमति के आदेश को चुनौती देने के लिए NGT के समक्ष अपील करने की स्वतंत्रता दी. इस परियोजना के समर्थन में केंद्र सरकार का दावा है कि इस परियोजना से दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय साढ़े छह घंटे से कम होकर महज ढाई घंटे ही रह जाएगा. सरकार की ओर से ये भी बताया गया है कि वन्यजीवों की सुरक्षा के लिहाज से 12 किलोमीटर एलिवेटेड सड़क का निर्माण कराया जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने NGT को एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने के लिए कहा है याचिका दायर करने के 24 घंटे के भीतर मामले को सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि NGT का 6 अक्टूबर को NGO की याचिका खारिज करने का आदेश त्रुटिपूर्ण है क्योंकि उसने इस मुद्दे पर पहले के फैसलों पर विचार नहीं किया.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इस परियोजना को जनहित में नहीं रोका जाना चाहिए क्योंकि NHAI ने सभी जरूरी मंजूरी ले ली है. वेणुगोपाल ने कहा कि हाथी गलियारे या किसी अन्य जंगली जानवरों के रास्ते को बाधित किए बिना ये सड़क वाहनों की सुगम यात्रा की अनुमति देगी और दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को कम करेगी.

CBI पर केंद्र का नियंत्रण नहीं, सरकार ने दायर किया हलफनामा

सीबीआई जांच को लेकर पश्चिम बंगाल बनाम केंद्र मामले में मंगलवार को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि CBI एक स्वायत्त निकाय है. CBI की ओर से मामले दर्ज किए जाने और जांच में केंद्र कभी हस्तक्षेप नहीं करता. केंद्र सरकार ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है. वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि CBI और केंद्र आपस में जुड़े हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई अब दो हफ्ते बाद होगी.

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ED और CBI निदेशक का कार्यकाल बढ़ाए जाने के खिलाफ याचिका

केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के निदेशक का कार्यकाल पांच साल तक के लिए बढ़ा दिया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर से इसके लिए अध्यादेश भी जारी हो गए हैं. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. अधिवक्ता एमएल शर्मा ने याचिका दायर कर अध्यादेश रद्द करने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र का अध्यादेश असंवैधानिक, मनमाना और संविधान के साथ धोखाधड़ी है. दोनों सदन में बहुमत के बिना सरकार को कोई अध्यादेश जारी करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है.

 

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