दिल्ली हाइकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए एक नाबालिग रेप पीड़िता को 26 हफ्ते बाद भी अबॉर्शन कराने की इजाजत दे दी है. इस फैसले के लिए हाई कोर्ट ने संविधान से मिली असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया है. मेडिकल टर्मिनेंसी ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट के तहत देश में 24 हफ्ते तक गर्भपात कराना वैध माना जाता है. लेकिन इस मामले में अदालत ने इंसानियत के नाते ऐसा फैसला सुनाया है.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर पीड़िता को प्रेग्नेंसी के लिए बाध्य किया जाता है तो ये उसके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालेगा और उसे ऐसा जख्म देगा जिसे कभी ठीक नहीं किया जा सकेगा. अदालत उसके जीने के अधिकार पर अतिक्रमण के बारे में सोच भी नहीं सकती है. साथ ही मां बनने के दौरान उसे जिस मेंटल और फिजिकल ट्रॉमा से गुजरना पड़ेगा, वो अकल्पनीय है.
दी गर्भपात कराने की अनुमति
दिल्ली हाइकोर्ट ने पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. साथ ही अबॉर्शर्न करने वाले संबंधित अस्पताल को भ्रूण को सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया है, ताकि रेप से जुड़े मामले की सुनवाई में जब जरूरत पड़े, उसे डीएनए टेस्टिंग में इस्तेमाल किया जा सके.
इस मामले को लेकर मेडिकल बोर्ड ने 16 जुलाई को एक रिपोर्ट दी थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि पीड़िता की उम्र 13 साल है. वहीं उसके गर्भ को 25 हफ्ते 6 दिन हो चुके हैं. अगर 24 हफ्तों से ज्यादा की अवधि में अबॉर्शन करवाया जाता है तो कानून के हिसाब से भ्रूण विकृति की स्थिति में ही किया जा सकता है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि रेप के मामले में एक गर्भवती महिला को पहले ही मानसिक आघात लगता है, और जब वो अबॉर्शन कराना चाहती है तो मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत इसे एक असाधारण स्थिति के रूप में देखा जा सकता है. ऐसे में संविधान में प्रदत्त एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी पावर्स का इस्तेमाल करते हुए अदालत पीड़िता को अबॉर्शन की अनुमति देती है.
नए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी नियमों के मुताबिक देश में कुछ खास मामलों में महिलाओं के लिए गर्भपात की सीमा 20 से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गई है. इसके तहत यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म की शिकार महिलाओं, ऐसी नाबालिगों और महिलाओं जिनकी गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति (विधवा या तलाक) बदल गई हो या दिव्यांग महिलाओं के मामले में ये नियम लागू होंगे. इसमें मानसिक रूप से बीमार महिलाओं और भ्रूण विकृति के मामलों को भी शामिल किया गया है.