दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 जुलाई तक बढ़ा दी गई है. केजरीवाल की न्यायिक हिरासत सीबीआई केस में बढ़ाई गई है. शुक्रवार को कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मामले पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल कोर्ट में पेश हुए.
बता दें कि शुक्रवार को ही केजरीवाल को शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है. लेकिन ईडी की ओर से उनकी गिरफ्तारी के मामले को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच को सौंप दिया.
सिर्फ पूछताछ से गिरफ्तारी नहीं हो सकती
जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में तीन सवाल तय करते हुए मामले को बड़ी बेंच के समक्ष भेजा है. केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत के द्वारा घोटाले मामले में केजरीवाल को दिए गए समन को सही माना था. कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को उनकी गिरफ्तारी के कारण पद छोड़ने का निर्देश नहीं दे सकती हैं, यह उनका खुद का फैसला होगा. साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि सिर्फ पूछताछ के आधार पर गिरफ्तारी की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
> केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री 90 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहे हैं. वह चुने हुए नेता हैं और वह इस पद पर बने रहेंगे या नहीं, इसका फैसला वही करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने फैसले में चुनावी फंडिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं.
> कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 19 और 45 के तहत ईडी के अधिकारों का हवाला दिया है. अदालत ने पीएमएलए की धारा 19 के प्रावधानों के पालन को लेकर भी सवाल खड़ा किया है. कोर्ट ने कहा कि हमने जमानत के सवाल को एग्जामिन नहीं किया है बल्कि पीएमएलए की धारा 19 के मापदंड़ों को परखा है. इन धाराओं की विस्तृत व्याख्या करने की जरूरत है.
> पीएमएलए की धारा 19 में गिरफ्तारी के नियमों की भी व्याख्या करने की जरूरत है. हमने पीएमएलए की धारा 19 और धारा 45 के बीच अंतर को समझाया है. पीएमएलए की धारा 19 अधिकारियों की व्यक्तिपरक राय है और इसकी न्यायिक समीक्षा हो सकती है. वहीं, धारा 45 का उपयोग अदालत ही कर सकती है.
> बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 19 ईडी को ये अधिकार देती है कि अगर सबूतों के आधार पर एजेंसी को लगता है कि कोई व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी है तो वो उसे गिरफ्तार कर सकती है. ऐसी गिरफ्तारी के लिए एजेंसी को बस आरोपी को कारण बताना होता है.