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दिल्ली: मां ने बच्ची को बांधकर धूप में लिटाया, कई देशों में है ये अपराध, भारत में क्या है सजा?

दिल्ली में होमवर्क नहीं करने पर छोटी बच्ची के हाथ-पैर बांधकर धूप में लिटाने का आरोप एक मां पर लगा है. पुलिस ने आरोपी मां के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. भारत में बच्चों पर हिंसा करना या उनके साथ मारपीट करने पर कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

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बच्ची को बांधकर धूप में लेटाने का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मां के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. (फोटो- वायरल वीडियो)
बच्ची को बांधकर धूप में लेटाने का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मां के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. (फोटो- वायरल वीडियो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • होमवर्क नहीं करने पर मां ने धूप में बच्ची को लिटाया
  • बच्चों के खिलाफ हिंसा पर 3 साल की कैद का प्रावधान
  • दुनिया के 63 देशों में बच्चों पर हिंसा करना अपराध

राजधानी दिल्ली में एक मां अपनी बेटी को चुभती गर्मी में छत पर हाथ-पैर बांधकर इसलिए लिटा दिया, क्योंकि उसने स्कूल का होमवर्क नहीं किया था. ये मामला खजूरी खास इलाके के तुकमीरपुर गली नंबर 2 का है. इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद पुलिस एक्शन में आई. 

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पुलिस की पूछताछ में बच्ची की मां ने बताया कि उसने स्कूल का होमवर्क नहीं किया था, इसलिए हाथ-पैर बांधकर छत पर लेटा दिया था. मां का कहना है कि बच्ची को 5 से 7 मिनट की सजा दी गई थी और उसके बाद उसे नीचे लेकर आ गई थी.

इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. पुलिस का कहना है कि जांच के बाद आरोपी महिला के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. 

मां को क्या सजा हो सकती है?

बच्चों और नाबालिगों को ऐसे हमलों या अपराध से बचाने के लिए जस्टिस जुवेनाइल एक्ट में सजा और जुर्माने का प्रावधान है. 

एक्ट कहता है कि अगर कोई किसी बच्चे या नाबालिग के साथ मारपीट करता है, उसे बेवजह मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता है, उसका उत्पीड़न करता है, उस पर जानबूझकर हमला करता है तो उस व्यक्ति को तीन साल की कैद और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है.

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हालांकि, यहां एक पेंच है. इस एक्ट में ये भी है कि अगर ये पाया जाता है कि जैविक माता-पिता ने अपने बच्चे के साथ जानबूझकर ऐसा बर्ताव नहीं किया था और सबकुछ उस समय के हालात पर निर्भर था, तो उन्हें कोई सजा नहीं हो सकती.

इस मामले में अगर ये साबित हो जाता है कि मां ने अपनी बच्ची के साथ जो किया, वो जानबूझकर नहीं किया था तो हो सकता है कि महिला को इससे छूट मिल जाए. हालांकि, ये सब जांच का विषय है.

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और क्या-क्या हो सकती है सजा?

जुवेनाइल कानून के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति जो किसी ऐसे संगठन से जुड़ा है, जिसके पास बच्चे की देखरेख और संरक्षण का जिम्मा है और वो बच्चे के खिलाफ कोई अपराध करता है, तो उसे तीन साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है.

इसके अलावा अगर मारपीट या हमले में बच्चा शारीरिक रूप से अक्षम हो जाता है या किसी तरह के मानसिक रूप से पीड़ित हो जाता है या उस हमले से उसकी जान को खतरा हो जाता है तो ऐसे मामले में आरोपी को 3 से 10 साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है.

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इसी तरह से अगर कोई बच्चों से भीख मंगवाता है तो उसे 5 साल की कैद और 1 लाख रुपये के जुर्माना देना होगा. वहीं, अगर भीख मांगने के मकसद से बच्चे को अपंग बनाया जाता है तो ऐसे में आरोपी को 7 से 10 साल की कैद और 5 लाख रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है.

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दुनिया में क्या है कानून?

दुनिया के 63 देशों में बच्चों और किशोरों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए कानून है. स्वीडन दुनिया का पहला देश है, जहां सबसे पहले इसके खिलाफ कानून बना था.

स्वीडन में 1979 से बच्चों पर अत्याचार रोकने के लिए कानून है. यहां घर पर भी बच्चों पर अत्याचार करना या मारपीट करना अपराध है. ऐसा करने पर 2 साल तक की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

स्वीडन के बाद फिनलैंड दूसरा देश है जहां ऐसा करना अपराध है. यहां 1983 से इसका कानून है. यहां घर पर या बाहर बच्चों पर हमला करना, मारपीट करना या अत्याचार करना अपराध है और ऐसा करने पर 5 साल तक की सजा हो सकती है.

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कोरिया, जापान, आयरलैंड, आइसलैंड, जर्मनी, लातविया, नॉर्वे, ऑस्ट्रिया, हंगरी, रोमानिया और यूक्रेन जैसे 63 देश ऐसे हैं जहां बच्चों पर किसी भी तरह का हमला करना, मारपीट करना या अत्याचार करना अपराध की श्रेणी में आता है. इन देशों में घरों में भी बच्चों पर हिंसा करना अपराध माना जाता है.

 

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