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शराब नीति का आरोपी समीर महेंद्रू मुश्किलों में, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बढ़ाई कस्टडी

दिल्ली आबकारी नीति में भ्रष्ट्राचार के मामले गिरफ्तार आरोपी समीर महेंद्रू को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से झटका मिला है. कोर्ट ने उसकी कस्टडी 10 अक्टूबर तक बढ़ा दी है. पिछले महीने ईडी ने देश के चर्चित शराब कारोबारी समीर महेंद्रू को प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया था. समीर महेंद्रू 2013 में भ्रष्टाचार के एक मामले में CBI के गवाह रह चुका है.

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समीर महेंद्रू 2013 में भ्रष्टाचार के एक मामले में CBI का गवाह था. (फाइल फोटो)
समीर महेंद्रू 2013 में भ्रष्टाचार के एक मामले में CBI का गवाह था. (फाइल फोटो)

दिल्ली की शराब नीति मामले में गिरफ्तार हुए आरोपी समीर महेंद्रू की कस्टडी 10 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है. कस्टडी बढ़ाने का यह फैसला गुरुवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनाया. बता दें कि महेंद्रू को अब 10 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे पेश किया जाएगा. कोर्ट स्टाफ ने यह आदेश सुना दिया है लेकिन औपचारिक आदेश की कॉपी जारी किया जाना अभी बाकी है. समीर महेंद्रू शराब घोटाले में आरोपी हैं. 

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आखिर है कौन समीर महेंद्रू?

उल्लेखनीय है कि समीर महेंद्रू एक शराब कारोबारी हैं और इंडोस्पिरिट्स (Indospirits) के मालिक हैं. महेंद्रू के घर पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में इसी महीने छापेमारी भी की थी. इससे पहले समीर महेंद्रू 2013 के एक मामले में CBI के गवाह रहे थे. 

महेंद्रू की गवाही ने निभाई थी अहम भूमिका

समीर महेंद्रू ने 2013 के एक मामले में दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (DSIIDC) के दो अधिकारियों- सुशांता मुखर्जी और अमृक सिंह के खिलाफ गवाही दी थी. यह मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा था. सुशांता मुखर्जी और अमृक सिंह पर आरोप था कि वो काम के बदले में शराब कारोबारियों से हर महीने 4-5 महंगी शराब की बोतल लेते थे. महेंद्रू की गवाही की वजह से ही कोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों को दोषी पाया था.

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क्या है शराबी नीति घोटाला?

आपको बताते चलें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक नई शराब नीति लॉन्च की थी. अपनी इसी नीति के चलते केजरीवाल की सरकार अब आलोचनाओं का सामना भी कर रही है. दरअसल इस नीति के तहत राजधानी में शराब कारोबारी ग्राहकों को डिस्काउंटेड रेट पर शराब बेच रहे थे. यह ऑफर इतने लुभावने थे कि एक बोतल खरीदने पर दूसरी बोतल फ्री में दी जा रही थी. इस आबकारी नीति के चलते दिल्ली में शराब की करीब 650 दुकानें खुली थीं.

सरकार को वापस खींचने पड़े कदम

इसके बाद जांच एजेंसी ने इस आबकारी नीति में घोटाले की बात कही और इसके बाद से तो राज्य सरकार लगातार बैकफुट पर आती रही. मामले में संज्ञान लेते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने CBI जांच की सिफारिश की थी. मामले के तूल पकड़ने के बाद दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति 2021-22 को वापस ले लिया. इसके साथ ही राजधानी में 1 सितंबर से पुरानी शराब नीति दोबारा लागू कर दी गई. नई नीति लागू होने से पहले ही कई लाइसेंस धारकों ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए थे.

गौरतलब है कि शराब घोटाले में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है. उन्हें इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया है.

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