छत्तीसगढ़ के रायगढ़ इलाके में सरकारी नर्स रही एक आदिवासी युवती को अगवा करने की कोशिश, मारपीट और जान की धमकी देने के मामले की सुनवाई दिल्ली का तीस हजारी कोर्ट (Tis Hazari Court) करेगा. इस मुकदमे में जिंदल स्टील के चेयरमैन और पूर्व सांसद नवीन जिंदल और जिंदल स्टील के अधिकारी दिनेश कुमार भार्गव को भी आरोपी बनाया गया है.
याचिका के मुताबिक, पीड़िता को अप्रैल 2007 में छत्तीसगढ़ में अगवा कर मारा पीटा गया था. उससे कई बार रेप भी किया गया, धमकी भी दी गई. पीड़िता का आरोप है कि जिंदल स्टील और उसके आला अधिकारियों ने उसकी जमीन हड़प ली. विरोध करने पर उसे ये सब झेलना पड़ा. धमकियों के बाद एक दिन अचानक उसका भाई रहस्यमय तरीके से डंपर से कुचलकर मारा गया. पुलिस ने FIR तक दर्ज नहीं की. इसके बाद ट्रिब्यूनल ने सड़क दुर्घटना का मामला दर्ज किया.
जमीन, इज्जत और मानसिक पीड़ा के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने में पीड़ित महिला अपनी मददगार महिला हरिप्रिया के साथ 21 मार्च 2015 को निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर थी तो कुछ गुंडों ने उनके साथ मारपीट की. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में दर्ज शिकायत वापस न लेने पर जान से मारने की धमकी दी. इस घटना की भी एफआईआर निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन थाने में दर्ज है. इस घटना के 3 साल बाद 9 जुलाई 2018 में दोनों महिलाएं तीस हजारी कोर्ट पहुंचीं, तब भी 3 गुंडों ने दोनों को ऑटो से घसीटकर मारपीट की और शिकायत वापस लेने के लिए धमकी दी. इस घटना के बाद कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया.
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आरोपी और दिल्ली सरकार के पीपी की दलील के बाद मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने छत्तीसगढ़ और दिल्ली में दर्ज मुकदमों की सुनवाई एक साथ करने को तरजीह दी, जबकि दोनों मुकदमों का ट्रायल अलग-अलग चलाने की पीड़िता की दलील और अपील खारिज कर दी. इस मामले में 2 अगस्त 2019 को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने ये मुकदमा खारिज कर दिया था. उसे अतिरिक्त सत्र न्यायालय में रिव्यू के तौर पर चुनौती दी गई.
तीस हजारी कोर्ट में एएसजे दीपक डबास ने 23 मई को दिए आदेश में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट से इस मुकदमे में पीड़ित पक्ष के साथ सभी पक्षकारों की दलीलें फिर सुनने को कहा है. एएसजे डबास का कहना है कि छत्तीसगढ़ में हुई घटनाओं के ट्रायल का अधिकार तो दिल्ली की कोर्ट के न्यायक्षेत्र में नहीं आता, लेकिन बाद के 2015 और 2018 के मामलों में ट्रायल दिल्ली में हो सकता है. यानी फिलहाल महिलाओं के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार, धमकियां देने के मुकदमे की सुनवाई होगी.