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मुंबई: छेड़खानी मामले में हुई सुलह तो कोर्ट ने रद्द की FIR, आरोपी और पीड़ित को दिया ये टास्क

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महिला के साथ छेड़खानी के आरोपों का सामना कर रहे दो युवकों की याचिका को खारिज करते हुए दोनों पुरुषों और पीड़ित महिला को छह सप्ताह के भीतर 10-10 पेड़ लगाने का आदेश दिया है.

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Bombay High Court
Bombay High Court
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दोनों पक्षों में हुई सुलह
  • दोनों के वकील बोले- बस गलतफहमी थी

एक महिला के साथ छेड़खानी के आरोपों का सामना कर रहे दो युवकों की याचिका को खारिज करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने दोनों पुरुषों और महिला को छह सप्ताह के भीतर 10 पेड़ लगाने का आदेश दिया है. जस्टिस पीबी वराले और जस्टिस एएस किलोर की बेंच मुंबई के विक्रोली पुलिस स्टेशन में दर्ज एक प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करने वाले दोनों युवकों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

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प्राथमिकी कथित रूप से एक महिला का अपमान करने और के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354  और 509 के तहत दर्ज की गई थी.  दोनों पक्षों के वकीलों ने पीठ को सूचित किया कि जिस घटना के चलते एफआईआर हुई थी वह "पक्षों के बीच गलतफहमी का परिणाम" था. प्राथमिकी दर्ज करने वाले पुरुष और महिला दोनों एक ही सोसायटी के निवासी थे और उनके बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध थे.

वकीलों ने अदालत को बताया कि "एफआईआर दर्ज करने के बाद दोनों पार्टियों को मामला ठीक से समझ आया." महिला ने अदालत में एक हलफनामा भी दायर किया और कहा कि उनके बीच विवाद को "सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाया गया है" और वे एक ही समाज में खुशी से रह रहे हैं और इसलिए, दोनों पक्षों के हित में, प्राथमिकी को रद्द करना आवश्यक है.

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मामले को देखने के बाद, अदालत ने प्राथमिकी को रद्द करने का फैसला किया, लेकिन तीनों को अपने-अपने सोसायटी परिसर में 10-10 पेड़ लगाने का निर्देश दिया गया है. पार्टियों को निर्देश दिया गया था कि वे ऐसा कर इसका एक प्रमाण पत्र सोसायटी के सचिव से प्राप्त करें और आज से आठ सप्ताह के भीतर इसे इस याचिका के रिकॉर्ड में रखें.

 

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