उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मामले से संबंधित शिवलिंग आकृति आदिविशेश्वर को लेकर सुनवाई सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मुस्लिम पक्ष ने अपनी बहस पूरी की.
दलीलें दी कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू होता है. मतलब 1947 में आजादी के समय धार्मिक स्थलों की जो स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही कानूनी नजीरें भी पेश की. कहा कि हिंदू पक्ष का मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है और उसे खारिज कर दिया जाए. इसके बाद हिंदू पक्ष ने अपनी बहस शुरू की.
हिंदू पक्ष ने कोर्ट ने जोर देकर कहा कि नमाज पढ़ने से कोई जगह मस्जिद नहीं हो जाती है. हमारा मुकदमा सुनवाई योग्य है. ज्ञानवापी प्रकरण में वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है. दलीलों को सुनने के बाद जिला जज की कोर्ट ने कहा कि आगे की सुनवाई बुधवार की दोपहर 2 बजे से होगी.
वैसे हिंदू पक्ष ने अपने प्रार्थना पत्र में टाइपिंग मिस्टेक का हवाला देकर संशोधन की अनुमति मांगी थी. इस पर कोर्ट ने प्रार्थना पत्र संशोधन के निस्तारण की अगली तारीख 14 जुलाई तय की है. प्रार्थना पत्र में दो जगह मिस्टेक बताई गई, जिन्हें दूर करने के लिए कोर्ट में वादी पक्ष के वकीलों ने अर्जी दी. इसमें एक जगह अंग्रेजी के शब्द 'नेवर' की जगह 'एवर' टाइप हो गया था. वहीं दूसरी जगह एक स्थान से 'महंत' शब्द को हटाने की मांग की.
सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडे ने वादी हिंदू पक्ष के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया. इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी. बता दें कि हिंदू पक्ष की मांग है कि ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए. इसके अलावा मुस्लिम पक्ष के प्रवेश पर रोक लगे. एडवोकेट कमीशन सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग आकृति आदिविशेश्वर की तत्काल प्रभाव से प्रतिदिन पूजा अर्चना शुरू करने की परमिशन दी जाए. इन मांगों को लेकर वाराणसी सिविल कोर्ट में मई माह में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में सुनवाई हुई.
विश्व वैदिक सनातन संघ के महासचिव और आदिविशेश्वर के मामले में वाद मित्र किरण सिंह, वादी विकास साह और विद्याचंद ने सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मई में कुल 77 पेज और 122 पैरा की याचिका दायर की थी. इस पर जिला जज रवि कुमार दिवाकर ने केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडे की अदालत में ट्रांसफर कर दिया था. इस मामले में पिछली सुनवाई 30 मई को हुई थी. मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने याचिका की कॉपी फरियादी से हासिल की थी, ताकि अपना जवाब दाखिल कर सकें. इसके बाद मामले में सुनवाई की अगली तारीख 8 जुलाई तय की गई थी.