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स्कूलों में पगड़ी, तिलक और क्रॉस पर बैन नहीं तो हिजाब पर क्यों? सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण ने दी दलील

Hijab Ban Case: हिजाब विवाद में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को 15 मार्च हो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कर्नाटक में उडुपी के कॉलेज की 6 मुस्लिम लड़कियों ने यह याचिका दाखिल की है. कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित तीन जजों की फुल बेंच ने फैसला दिया था कि स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने की इजाजत नहीं मिलेगी. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं.

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सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन केस पर 19 सितंबर को फिर होगी सुनवाई (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन केस पर 19 सितंबर को फिर होगी सुनवाई (फाइल फोटो)

Hijab Ban Case: हिजाब बैन मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान प्रशांत भूषण ने दलील दी कि जब स्कूलों में पगड़ी, तिलक और क्रॉस को बैन नहीं किया गया तो फिर हिजाब पर बैन क्यों? यह सिर्फ एक धर्म को निशाना बनाने के लिए किया गया है.

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उन्होंने कहा कि एक निजी क्लब में एक ड्रेस कोड हो सकता है. उदाहरण के लिए गोल्फ क्लब, लेकिन एक सार्वजनिक शिक्षण संस्थान ऐसा नहीं कर सकता. अब इस मामले में सोमवार को सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा कि उम्मीद है कि सुनवाई मंगलवार तक पूरी हो जाएगी.

बिना औचित्य के बैन लगाना मनमाना

प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि किसी भी मामले में और किसी भी नजरिए से यह भेदभावपूर्ण है. अगर आप यह कहते हुए हिजाब पर प्रतिबंध लगाते हैं कि इसका कोई औचित्य नहीं है, तो यह मनमाना है. आपको धार्मिक पहचान के सभी प्रतीकों पर समान रूप से प्रतिबंध लगाना होगा.

अगर मुझे विश्वास है कि मैं हिजाब के माध्यम से अपनी धार्मिक पहचान व्यक्त कर सकता हूं, तो सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और शालीनता का तर्क देकर इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है.

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संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए मामला

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह मामला संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह अधिकार का मामला है कि मैं क्या पहनूं या ना पहनूं.

उन्होंने कहा कि कानून अभिव्यक्ति को तब तक प्रतिबंधित नहीं कर सकता, जब तक कि वह सार्वजनिक व्यवस्था या नैतिकता और शालीनता के खिलाफ न हो. 

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