सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के पास एक याचिका आई जिसमें हिन्दू उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Act) के सेक्शन 15 को चुनौती दी गई. इसकी संवैधानिक वैधता को लेकर ही सवाल उठा दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक तीन जजों की बेंच का गठन कर दिया है.
जानकारी के लिए बता दें कि ये याचिका मुंबई की एक महिला ने साल 2016 में दाखिल की थी. तब शादी के बाद उसकी बेटी की मौत हो गई थी और प्रॉपर्टी उसके पति और वहां के परिवार को मिली. बेटी की मां को कोई हक नहीं मिल पाया था. बाद में कोर्ट के बाहर समझौता तो हुआ लेकिन सुप्रीम कोर्ट की नजर में ये मुद्दा अहम रहा, ऐसे में इस पर सुनवाई शुरू हुई.
कहा जा रहा है कि वसीयत में मरने वाले पुरुष और महिला की सम्पत्तियों के हस्तांतरण में भेदभाव नजर आता है. पति के मरने के बाद उनकी प्रॉपर्टी पर पहला हक उनकी मां, विधवा पत्नी और बच्चों के पास रहता है. लेकिन अगर पत्नी की मौत हो जाए तो सारी प्रॉपर्टी उनके बच्चों और पति के पास चली जाती है. इस स्थिति में बेटी के माता-पिता को कोई हक नहीं मिलता है. इसी बिंदू पर विवाद है और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी गई है.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की बेंच ने कहा है कि इस मामले में एक सेक्शन के संवैधानिक वैधता पर ही सवाल उठ गए हैं, ऐसे में लंबी सुनवाई की जरूरत है. इसी वजह से इस केस को तीन-सदस्यीय बेंच को सौंप दिया गया. अब 10 फरवरी को इस मामले में अगली सुनवाई होने जा रही है. वैसे इससे पहले जनवरी में भी ये मुद्दा कोर्ट के सामने आया था. तब एक बेंच ने कहा था कि अगर किसी पत्नी की मौत होती है और उसके पास अपने मायके (माता-पिता) की कोई प्रॉपर्टी है, तो उसका हक उन्हीं के पास जाएगा, वहीं अगर पति की मौत होती है तो हक उनके माता-पिता को मिलेगा.