scorecardresearch
 

कर्नाटक: ईदगाह में गणेश चतुर्थी की पूजा नहीं होगी, SC ने यथास्थिति बरकरार रखने को कहा

कर्नाटक में इस समय ईदगाह मैदान पर गणेश चतुर्थी की पूजा के आयोजन को लेकर विवाद चल रहा है. हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद से एक तरफ गणेश चतुर्थी की पूजा की तैयारी तेज कर दी गई है तो वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने को कहा है.

Advertisement
X
ईदगाह गणेश पूजा विवाद: SC ने तीन जजों की बेंच को भेजा केस
ईदगाह गणेश पूजा विवाद: SC ने तीन जजों की बेंच को भेजा केस

कर्नाटक में इस समय ईदगाह मैदान पर गणेश चतुर्थी की पूजा को लेकर विवाद चल रहा है. वक्फ बोर्ड ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी पूजा का विरोध कर रहा है, उसकी तरफ से इस मामले में दिए गए हाई कोर्ट के फैसला का भी स्वागत नहीं किया गया है. अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यथास्थिति बरकरार रखने को कहा है. ऐसे में अभी के लिए वहां पर गणेश उत्सव नहीं हो पाएगा.

Advertisement

वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?

वैसे वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल कई पुराने केसों के आधार पर ईदगाह में गणेश चतुर्थी की पूजा ना करवाने की अपील की. लेकिन कोर्ट ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आपकी याचिका से तो लगता है कि आपने ज़मीन पर मालिकाना हक़ को लेकर याचिका दायर की है. क्योंकि हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच का तो आर्डर था कि इस जगह का स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस समारोह के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इस पर सिब्बल ने कहा कि इससे तो हमे आज भी एतराज नहीं है. बच्चे इसे प्ले ग्राउंड की तरह पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन दूसरी धर्मिक गतिविधि (पूजा) के लिए इस मैदान के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जा सकती है.

Advertisement

सिब्बल ने SC के एक पुराने फैसले को उद्धृत करते हुए कहा कि- HC की सिंगल जज बेंच ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. लेकिन खंडपीठ ने गणेश पूजा के लिए इजाजत दे दी. यह तो पिछले 200 साल से वक़्फ़ की सम्पत्ति है. यहाँ किसी और धर्म के फंक्शन की इजाज़त नहीं दी जा सकती. सिब्बल ने कहा कि 1831 से यह मैदान हमारी मिल्कियत है. ये वक्फ के कब्जे में है. आज 2022 में अचानक वहाँ धार्मिक आयोजन की इजाजत दे दी गयी. क्योंकि अगले साल चुनाव है. वैसे कपिल सिब्बल के अलावा दुष्यंत दवे ने भी वक्फ बोर्ड की तरफ से कुछ जरूरी दलीलें रखी थीं.

उन्होंने दो टूक कहा कि की प्रॉपर्टी मेरी है. मैं किसी को दूं मेरी मर्जी. कोर्ट किसी को अपने ऑर्डर के जरिए इसके इस्तेमाल की.इजाजत कैसे दे सकता है? ये वक्फ की संपत्ति है. सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक जब मेरे धर्म की  धार्मिक गतिविधियां ईदगाह में होती हैं तो दूसरे को कैसे इजाजत दी जा सकती है? क्या मुस्लिम समुदाय को हिंदू ट्रस्ट के स्वामित्व वाले मैदान में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है? सरकार अब कह रही है कि प्रॉपटी पर मालिकाना हक को लेकर विवाद है. लेकिन आप 200 साल बाद ये मालिकाना हक़ का दावा नहीं कर सकते. क्या किसी हिंदू धार्मिक परंपराओं के लिए इस्तेमाल हो रही ज़मीन पर मुस्लिम समुदाय को ऐसी इजाज़त दी जा सकती है?

Advertisement

सरकार की क्या दलील है?

लेकिन इन दलीलों के बाद कर्नाटक सरकार की तरफ से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा की जमीन पर मालिकाना हक का सवाल नहीं है. सवाल तो जमीन के इस्तेमाल को लेकर है. उन्होंने कहा कि ये एक ओपन ग्राउंड है. यहां कोई बाउंड्री नही है. इस ग्राउंड  पर तो नगर निगम स्कूल बनाना चाहता था. लेकिन मुस्लिम समुदाय पिछले 200 साल से इसका उपयोग कर रहा है. इसके मद्देनजर ही नगर निगम ने याचिका दायर की थी. कॉर्पोरेशन की याचिका पर हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि हम मालिकाना हक़ को लेकर सुनवाई नहीं करेंगे. ज़मीन कॉर्पोरेशन की है या वक़्फ़ की इसका निर्धारण सिविल कोर्ट करेगा. HC ने ज़मीन पर मालिकाना हक़ का मुद्दा तय नहीं किया है.

Ayodhaya Ram Mandir: रामलला के भक्तों के लिए खुशखबरी, देखिए कैसा दिखेगा राम मंदिर का गर्भगृह

Advertisement
Advertisement