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दिल्ली दंगे से जुड़े एक केस में ढाई साल बाद FIR, कोर्ट के दखल पर शुरू हुई जांच

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी 2020 को दंगा भड़क गया था. उसी दिन आरटीवी में कंडक्टर के तौर पर काम कर रहे सिकंदर की भी मौत हो गई थी. परिवार का दावा है कि दंगों में उसकी मौत हो गई. उन्होंने कोर्ट जाकर न्याय की गुहार लगाई तो 18 अक्टूबर को कोर्ट ने पुलिस को केस दर्ज करने का आदेश दे दिया.

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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी 2020 को भड़क गए थे दंगे. (सांकेतिक फोटो)
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी 2020 को भड़क गए थे दंगे. (सांकेतिक फोटो)

दिल्ली दंगा मामले से जुड़े के केस में पुलिस ने करीब ढाई साल बाद गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया. 18 अक्टूबर को आए कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस यह केस दर्ज किया है. दरअसल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान सिकंदर नाम के एक शख्स की मौत हो गई थी. उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी 2020 को अचानक दंगे भड़क गए थे. दंगाग्रस्त क्षेत्रों की सड़कों पर सांप्रदायिक नफरत की आग भड़क उठी थी. इन दंगों के दौरान 53 लोगों की जान गई थी. वहीं, सैकड़ों लोग जख्मी हुए थे.

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इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बयान जारी किया कि 27 फरवरी 2020 को 45 साल का एक युवक बेहोशी की हालत में खजूरी खास लाल बत्ती के पास मिला था. उसे जेपीसी हॉस्पिटल में ले जाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. इसके बाद पुलिस ने सीआरपीसी की धारा- 144 की कार्रवाई शुरू कर दी थी.

पुलिस का कहना है कि मृतक के पहचान की कोशिश की गई लेकिन उसकी पहचान नहीं हो पा रही थी. 11 मार्च को मेडिकल बोर्ड द्वारा शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया. फिर 19 मार्च को पीड़ित की पहचान सिकंदर के रूप में हुई, जिसके बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया था.

आरटीवी में कंडक्टर था मृतक सिकंदर

सिकंदर के बड़े भाई अशफाक के मुताबिक उसका छोटा भाई सिकंदर आरटीवी में कंडक्टर था. अक्सर वहीं सो जाया करता था. सिकंदर घर पर 10 से 15 दिन के बाद आता था. अशफाक ने आजतक से बताया कि 24 फरवरी को वह अपनी दुकान में थे. वह किसी तरीके से शाम को घर पहुंचे लेकिन सिकंदर का पता नहीं चला.

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सिकंदर कई दिनों बाद घर आता था इसलिए परिवार के लोग ज्यादा परेशान नहीं हुए. अशफाक के मुताबिक 23 फरवरी को सिकंदर घर से निकला था. इसके बाद जब वह काफी दिनों तक घर नहीं आया तो जानने वालों और रिश्तेदारों से उनकी खोजबीन शुरू की. 

अस्पताल में लावारिस रखा था शव

अशफाक की बहन को किसी ने बताया कि तुम्हारे भाई (सिकंदर) को मार दिया गया है. इसके बाद अशफाक ने खजूरी खास थाने पहुंचकर गुमशुदगी का केस दर्ज करवाया. काफी खोजबीन के बाद पता चला कि उनके भाई का शव गुरु तेग बहादुर अस्पताल के मर्चुरी में लावारिस हालत में पड़ी हुई है. पोस्टमॉर्टम के बाद सिकंदर के शव को उनके परिवार वालों को दे दिया गया. अशफाक के मुताबिक 19 मार्च 2020 को सिकंदर का अंतिम संस्कार कर दिया गया. 

शरीर पर चोट के निशान, फ्रैक्चर भी था

अशफाक का दावा है कि सिकंदर के शरीर पर चोट के कई निशान थे. उसके शरीर में फ्रैक्चर भी था. अशफाक के मुताबिक कुछ संस्थाओं ने उनसे संपर्क किया था, जिस वजह से उनका काफी वक्त बर्बाद हो गया. फिर बाद में इन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई. कोर्ट के आदेश पर 19 अक्टूबर को पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है.

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पुलिस ने परिवार के दावे को खारिज किया

वहीं पुलिस का दावा है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में किसी चोट का जिक्र नहीं है और मौत की वजह Respiratory failure पता चली है. पुलिस का कहना है कि इस मामले में कोर्ट के आदेश के बाद गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है.पूरे मामले की जांच की जा रही है. पुलिस के मुताबिक अब तक की जांच में सिकंदर की मौत का दिल्ली दंगों से कोई जुड़ाव नहीं दिख रहा, नहीं कोई इससे जुड़ा सबूत ही मिला है.

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