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इंसाफ देने के मामले में सबसे सुस्त है यूपी, कर्नाटक सबसे चुस्त: रिपोर्ट

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 में दावा किया गया है कि जल्द इंसाफ देने के मामले में कर्नाटक पहले नंबर पर है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी राज्यों में इंसाफ पाने में बाकी राज्यों की तुलना में कम इंतजार करना पड़ता है. इस रिपोर्ट में और क्या-क्या कहा गया है? जानें...

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जल्द इंसाफ देने के मामले में कर्नाटक पहले नंबर पर है. (फोटो- Vani Gupta/aajtak.in)
जल्द इंसाफ देने के मामले में कर्नाटक पहले नंबर पर है. (फोटो- Vani Gupta/aajtak.in)

भारत में जल्दी इंसाफ देने के मामले में दक्षिणी राज्य सबसे आगे हैं. इनमें भी कर्नाटक ऐसा राज्य है, जहां लोगों को बाकी राज्यों की तुलना में इंसाफ पाने में कम इंतजार करना पड़ता है. 

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ये दावा इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 में किया गया है. इस रिपोर्ट में जल्द इंसाफ देने में कौन सा राज्य कितना आगे है, इसकी रैंकिंग की गई है. इस रैंकिंग में कर्नाटक सबसे आगे है. कर्नाटक की रैंकिंग में दो साल में जबरदस्त सुधार आया है. 2020 में कर्नाटक इस मामले में 14वें पायदान पर था, जो 2022 में छलांग लगाकर पहले नंबर पर आ गया है. वहीं, 2020 में पंजाब पहले नंबर पर था, जिसकी रैंकिंग 2022 में फिसलकर 12वें नंबर पर आ गई है.

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट को टाटा ट्रस्ट जारी करता है. ये रिपोर्ट 2019 से जारी हो रही है. ये इस रिपोर्ट का तीसरा एडिशन है. इस रिपोर्ट में एक करोड़ से ज्यादा आबादी वाले 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में कर्नाटक सबसे ऊपर है. जबकि, एक करोड़ से कम आबादी वाले सात छोटे राज्यों में सिक्किम पहले स्थान पर है.

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इस रिपोर्ट के मुताबिक, समय पर इंसाफ देने के मामले में कर्नाटक के बाद तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, आंध्र प्रदेश और केरल है. इस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश सबसे नीचे है. वो 18वें नंबर पर है. उत्तर प्रदेश से पहले पश्चिम बंगाल (17), बिहार (16), राजस्थान (15), उत्तराखंड (14) और हरियाणा (13) हैं. 2020 की तुलना में 2022 में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की रैंकिंग में कोई सुधार नहीं हुआ है. दोनों राज्य 2020 में जिस पायदान पर थे, 2022 में भी उसी नंबर पर हैं.

राज्य

रैंक 2022

रैंक 2020

कर्नाटक

1

14

तमिलनाडु

2

2

तेलंगाना

3

3

गुजरात

4

6

आंध्रप्रदेश

5

12

केरल

6

5

झारखंड

7

8

मध्य प्रदेश

8

16

छत्तीसगढ़

9

7

ओडिशा

10

4

महाराष्ट्र

11

11

पंजाब

12

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1

हरियाणा

13

9

उत्तराखंड

14

15

राजस्थान

15

10

बिहार

16

13

पश्चिम बंगाल

17

17

उत्तर प्रदेश

18

18

इंसाफ मिलने में क्यों होती है देरी?

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत की 140 करोड़ की आबादी के लिए मात्र 20,076 जज हैं. इनमें से भी 22 फीसदी पद तो खाली ही हैं. देशभर के राज्यों के हाईकोर्ट में 30 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं. इतना ही नहीं, दिसंबर 2022 तक भारत में हर 10 लाख आबादी पर 19 जज थे और 4.8 करोड़ मामले पेंडिंग थे. जबकि, 1987 की शुरुआत में विधि आयोग ने सुझाव दिया था कि एक दशक के अंदर हर 10 लाख आबादी पर जजों की संख्या 50 होनी चाहिए.

पुलिस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर क्या कहती है रिपोर्ट?

- पुलिस में महिलाओं की संख्या केवल लगभग 11.75% है जबकि पिछले एक दशक में, उनकी संख्या दोगुनी हुई है. अधिकारी स्तर के करीब 29% पद खाली हैं. 

- इसके अलावा पुलिस और जनसंख्या का अनुपात भी अंतरराष्ट्रीय मानक से काफी कम है. अंतरराष्ट्रीय मानक के हिसाब से हर एक लाख आबादी पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए, लेकिन भारत में ये संख्या 152.8 है.

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- रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय जेलों में क्षमता से 130 फीसदी ज्यादा कैदी भरे हुए हैं. 77 फीसदी से ज्यादा कैदी जांच या मुकदमे के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं.

- इतना ही नहीं, हर व्यक्ति को मुफ्त कानूनी सहायता पाने का अधिकार है. भारत की 80 फीसदी आबादी इसकी हकदार है. रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर व्यक्ति की कानूनी सहायता सालभर में मात्र 3.84 रुपये ही खर्च होते हैं.

 

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