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जानिए कौन हैं सुप्रीम कोर्ट के वो पांच जज, जिन्होंने सुनाया आर्टिकल 370 पर ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला दे दिया है. फैसला देने वाले शीर्ष अदालत के पांच जजों में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं. 

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370 पर फैसला देने वाले पांच जज
370 पर फैसला देने वाले पांच जज

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुना दिया है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार का अनुच्छेद 370 हटाने का केंद्र सरकार फैसला सही था. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 370 की शक्तियों के 3 के तहत राष्ट्रपति का फैसला सही था। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करना सही नहीं है.

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  शीर्ष अदालत के पांच जजों में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं. फैसला सुनाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो राज्यों में संघ की शक्तियों पर सीमाएं होती हैं. 

कौन हैं फैसला सुनाने वाले पांच जज

जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ - न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (D Y Chandrachud) भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक मौजूदा न्यायाधीश हैं. उन्होंने 10 अक्टूबर, 2022 को तब के सीजेआई यूयू ललित का स्थान लिया था. जस्टिस चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर, 1959 को मुंबई में हुआ. उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ 16वें और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले  (22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक) सीजेआई थे.

 डी वाई चंद्रचूड़ ने नई दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स के साथ बीए की पढ़ाई की. उन्होंने 1982 में कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी पूरी की. उन्होंने 1986 में हार्वर्ड लॉ स्कूल, यूएसए से एलएलएम की डिग्री और ज्यूरिडिकल साइंसेज (एसजेडी) में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की.

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जस्टिस चंद्रचूड़ को 29 मार्च, 2000 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. 31 अक्टूबर 2013 को उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और 13 मई, 2016 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया.

जस्टिस संजय किशन कौल- जस्टिस कौल सुप्रीम कोर्ट के दूसरे नंबर के सीनियर मोस्ट जज हैं.कश्मीरी परिवार से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस ने स्कूल की पढ़ाई मॉडर्न स्कूल नई दिल्ली से की और सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की.उन्होंने 1987 से 1999 तक भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वकील के रूप में काम किया और दिसंबर 1999 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया.

3 मई, 2001 को उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 02 मई, 2003 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.2013 में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बने और 26 जुलाई 2014 को उन्हें मद्रास हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बने. इसके बाद 17 फरवरी 2017 को वह सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए गए.

जस्टिस संजीव खन्ना- 14 मई 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना ने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के प्रतिष्ठित मॉडर्न स्कूल से पूरी की. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की. स्नातक होने के बाद, उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकन कराया.

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उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में और न्यायालय द्वारा न्याय मित्र के रूप में नियुक्ति पर भी कई आपराधिक मामलों में बहस की थी. दिल्ली उच्च न्यायालय में आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में उनका लगभग सात वर्षों तक काम किया

2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए, उन्हें 2006 में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया. 18 जनवरी 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए. जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.

जस्टिस बी.आर. गवई- 24 नवंबर 1960 को अमरावती में जन्मे बी.आर. गवई 16 मार्च, 1985 को बार में शामिल हुए. उन्होंने 1987 तक पूर्व महाधिवक्ता और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजा भोंसले के साथ काम किया.  1987 से 1990 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र रूप से वकालत की.  1990 के बाद, मुख्य रूप से उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष वकालत की.

17 जनवरी, 2000 को उन्हें नागपुर बेंच के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया था. 12 नवंबर, 2005 को वह बॉम्बे उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने. 24 मई, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. वह 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.

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जस्टिस सूर्यकांत- 10 फरवरी, 1962 को हिसार (हरियाणा) के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत ने 1981 में गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, हिसार से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. उन्होंने 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की. 1984 में जिला न्यायालय, हिसार में कानून की प्रैक्टिस शुरू कर दी है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने के लिए वह 1985 में चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए. 7 जुलाई, 2000 को हरियाणा के सबसे कम उम्र के महाधिवक्ता नियुक्त होने का गौरव प्राप्त किया. मार्च, 2001 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया.

 जनवरी 2004 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने तक हरियाणा के महाधिवक्ता के पद पर रहे. उन्होंने 05 अक्टूबर, 2018 से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद का कार्यभार ग्रहण किया. जस्टिस सूर्यकांत को 24 मई, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. वह 09 फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.

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