केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की एकमात्र लोकसभा सीट से सांसद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मोहम्मद फैजल को निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी. लक्षद्वीप के सांसद को ये सजा हत्या के प्रयास के एक मामले में सुनाई गई थी. फैजल की सजा पर केरल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी जिसके खिलाफ अब लक्षद्वीप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासन की ओर से केरल हाईकोर्ट के सजा पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती दी गई है. इस मामले में लक्षद्वीप प्रशासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जल्द सुनवाई की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई की मांग को स्वीकार कर लिया और कहा कि इसे अगले हफ्ते सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाएगा.
गौरतलब है कि लक्षद्वीप प्रशासन से पहले सांसद मोहम्मद फैजल ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. मोहम्मद फैजल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई, चुनाव आयोग की ओर से उपचुनाव को लेकर जारी किए गए प्रेस नोट को चुनौती दी थी. मोहम्मद फैजल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से भी जवाब तलब किया था.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लक्षद्वीप संसदीय सीट से उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी नहीं की जाएगी. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में ये साफ कर दिया था कि लक्षद्वीप संसदीय सीट के लिए फिलहाल उपचुनाव नहीं होगा. गौरतलब है कि लक्षद्वीप सीट से 2019 के चुनाव में सांसद निर्वाचित हुए मोहम्मद फैजल को लोकसभा सचिवालय ने अयोग्य ठहरा दिया था.
इसके बाद लक्षद्वीप सीट पर उपचुनाव को लेकर हलचल शुरू हो गई थी. चुनाव आयोग ने 18 जनवरी को ये कहा था कि लक्षद्वीप सीट के लिए 27 फरवरी को पांच राज्यों की छह विधानसभा सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव के साथ ही उपचुनाव कराया जाएगा. चुनाव आयोग की ओर से आए इस बयान के बाद मोहम्मद फैजल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.