सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के खिलाफ की गई टिप्पणियों के संबंध में मामले की सुनवाई शुरू की. जस्टिस एम एम सुंदरेश और संजीव खन्ना की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. ललित मोदी ने सोशल मीडिया पर बयान न देने के आदेश के बावजूद टिप्पणियां की हैं. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ललित मोदी को सलाह दी कि मामले में वकीलों पर व्यक्तिगत टिप्पणी न करें. कोर्ट ने कि मध्यस्थता की कार्यवाही चलती रहनी चाहिए.
इसके बाद बेंच ने पूछा कि मध्यस्थता की स्थिति क्या है? इस पर सरकार के वकील श्याम दीवान ने बताया कि मध्यस्थता चल रही है. कपिल सिब्बल कहा कि यह वादा करने के बावजूद कि कोई सोशल मीडिया पोस्ट नहीं किया जाएगा, फिर भी ऐसा किया गया है. इस पर ललित मोदी की तरफ से एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि उन्होंने आदेश का कोई उल्लंघन नहीं किया है.
इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने भी कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की है. बेंच ने पूछा कि आप इस टिप्पणी के बारे में क्या कहते हैं मिस्टर साल्वे? उन्होंने कहा कि पक्षकार इतने परिपक्व हैं कि वे टिप्पणी न करें. कृपया संबंधित पक्ष से टिप्पणियों को हटाने के लिए कहें. बेंच ने कहा कि यह आपका (ललित मोदी) निजी मामला है, इसमें वकीलों को न घसीटें. इसके बाद बेंच ने कहा- हम आदेश पारित नहीं कर रहे हैं लेकिन अपने मुवक्किलों को सलाह दें कि वे वकीलों के लिए कोई भी टिप्पणी न करें क्योंकि मध्यस्थता चल रही है.
भगोड़ा बताने पर ललित मोदी ने दी थी धमकी
ललित मोदी ने सीनियर वकील मुकुल रोहतगी को सोशल मीडिया पर खुलेआम धमकी दे दी थी. ललित मोदी ने अपने इंस्टाग्राम अकॉउंट पर रोहतगी की एक तस्वीर शेयर करते हुए लंबा पोस्ट लिखा था. उन्होंने मुकुल रोहतगी को धमकाते हुए कहा था कि वो उन्हें भगोड़ा कहना बंद करें.
उन्होंने लिखा कि वो वकीलों की गोष्ठी में गॉसिप करने के शौकीन हैं, यह उन्हें पता है. लेकिन उस गॉसिप में मुझे भगोड़ा कहने से बचें. मेरी चर्चा करनी है तो मिस्टर मोदी कहकर संबोधित करें. अगली बार आपसे इतनी शालीनता और नरमी से नहीं कहूंगा. ये पोस्ट काफी लंबा था और इसमें सीधे सीधे रोहतगी को धमकाया गया था. बाद में एक अन्य पोस्ट में कथित तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता से अपने पिछले अपमानजनक पोस्ट के लिए माफी मांगी है.