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शराब घोटाला: 'जेल में भी हो सकता है केजरीवाल का इलाज, गिरफ्तारी गैरकानूनी नहीं', सुप्रीम कोर्ट में CBI की दूसरी दलील

एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक CBI ने केजरीवाल को अंतरिम मेडिकल जमानत देने का विरोध किया है. अपनी दूसरी दलील में जांच एजेंसी ने कहा है कि केजरीवाल को जेल में भी इलाज मुहैया कराया जा सकता है. दिल्ली सीएम अपनी भूमिका को देखते हुए सह-आरोपी की तरह समानता का अधिकार नहीं रखते हैं.

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दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल. (फाइल फोटो)
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल. (फाइल फोटो)

शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार किए गए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर आज (5 सितंबर) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. लेकिन सुनवाई से पहले इस मामले में आज तक के पास सीबीआई की दूसरी दलील को लेकर एक्सक्लूसिव जानकारी सामने आई है. दरअसल, केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर CBI ने पिछले हफ्ते ही अपनी दूसरी दलील पेश कर दी थी.

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एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक CBI ने केजरीवाल को अंतरिम मेडिकल जमानत देने का विरोध किया है. अपनी दलील में जांच एजेंसी ने कहा है कि केजरीवाल को जेल में भी इलाज मुहैया कराया जा सकता है. दिल्ली सीएम अपनी भूमिका को देखते हुए सह-आरोपी की तरह समानता का अधिकार नहीं रखते हैं, उनकी गिरफ्तारी में कानून का उल्लंघन नहीं किया गया. इस मामले में सह-आरोपी (मनीष सिसोदिया) को मिली जमानत का केजरीवाल की गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

'जेल में हो सकता है केजरीवाल का इलाज'

सीबीआई ने मेडिकल को आधार बनाकर अंतरिम जमानत की याचिका पर कहा,'जेल नियमों और मैनुअल के मुताबिक तिहाड़ जेल अस्पताल या उसके किसी भी रेफरल अस्पताल में इलाज कराया जा सकता है. यह पहले से ही किया जा रहा है.' सीबीआई ने अपनी दलील में कहा है कि केजरीवाल को मेडिकल बेल पर रिहा किए जाने का कोई मामला नहीं बनता है. जबकि मेडिकल बेल तभी दी जानी चाहिए, जब जेल में इलाज संभव न हो. दिल्ली सीएम आबकारी नीति 2021-22 को बनाने और उस पर अमल करवाने की आपराधिक साजिश में शामिल हैं.

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'केजरीवाल के इशारे पर लिए गए सभी फैसले'

जांच एजेंसी ने आगे कहा,'केजरीवाल का प्रभाव और दबदबा स्पष्ट है, उनका न केवल दिल्ली सरकार बल्कि AAP के किसी भी या सभी फैसलों पर प्रभाव है. मुख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो होने के नाते सरकार और पार्टी के सभी निर्णय उनकी सहमति और निर्देशों पर लिए जाते हैं. नई आबकारी नीति को बनाने में सभी महत्वपूर्ण निर्णय केजरीवाल के इशारे पर, सिसोदिया की मिलीभगत से लिए गए थे.'

MSR को के. कविता से संपर्क करने के लिए कहा

सीबीआई के मुताबिक,'केजरीवाल इस मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने की कोशिश कर रहे हैं. केजरीवाल के मन में पहले से ही यह विचार था कि नीति के माध्यम से क्या उद्देश्य हासिल किया जाना है. मगुंटा श्रीनिवासलु रेड्डी (MSR) ने नई आबकारी नीति में अपनी रुचि दिखाई, केजरीवाल ने उन्हें समर्थन का आश्वासन दिया. केजरीवाल ने MSR से के. कविता से संपर्क करने को कहा था क्योंकि वह केजरीवाल की टीम के साथ आबकारी नीति पर काम कर रही थीं.' केजरीवाल ने रेड्डी से आम आदमी पार्टी को आर्थिक सहायता देने के लिए भी कहा था.'

हवाला के जरिए भेजे गए 44.54 करोड़ रुपये

जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान केजरीवाल के निर्देश पर आबकारी नीति की फाइल को जल्दबाजी में आगे बढ़ाया गया. दिल्ली के जिस गेस्ट हाउस में साउथ ग्रुप की मीटिंग हुई थी, उसे केजरीवाल के पीए बिभव कुमार ने बुक करवाया था. दिल्ली से गोवा में हवाला के जरिए कुल 44.54 करोड़ रुपये भेजे गए, जिसका इस्तेमाल गोवा विधानसभा चुनाव 2021-22 के दौरान आम आदमी पार्टी के चुनाव संबंधी  खर्चों को पूरा करने में किया गया.

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'तथ्यों का सही तरीके से नहीं किया खुलासा'

सीबीआई की दलीली के मुताबिक,'केजरीवाल के जवाब सीबीआई के एकत्र किए गए साक्ष्यों के विपरीत थे. संदिग्ध साक्ष्यों के सामने आने के बावजूद केजरीवाल ने तथ्यों का सच्चाई के साथ खुलासा नहीं किया. सिर्फ 14 जुलाई 2022 को यानी कथित अपराध के संबंध में मुख्य सचिव की रिपोर्ट आने के बाद मनीष सिसोदिया के फैसलों को कैबिनेट ने मंजूरी दी, जिसकी अध्यक्षता फिर से केजरीवाल ने की.

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