बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने नागपुर में जमीन आवंटन से जुड़े एक मामले में आदेश सुनाया है. कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि यथास्थिति बनाए रखें. दरअसल, अप्रैल 2021 में तत्कालीन MVA सरकार के दौरान शहरी विकास मंत्री के तौर पर एकनाथ शिंदे ने 16 बिल्डरों को औने-पौने दाम पर 5 एकड़ सरकारी जमीन आवंटित की थी. उनके इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
इस केस की सुनवाई के बाद बेंच ने कहा कि तत्कालीन शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे का फैसला न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप था. क्योंकि ये मामला कोर्ट में लंबित था. कोर्ट ने इस मामले में अधिकारियों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है. साथ ही राज्य सरकार से अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए भी कहा है.
तत्कालीन MVA सरकार में विकास मंत्री रहे एकनाथ शिंदे के फैसले को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि जमीन से जुड़ा मामला कोर्ट में लंबित होने के बावजूद उन्होंने आवंटन के आदेश दिए थे. आरोप है कि नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (NIT) को 83 करोड़ से अधिक कीमत की जमीन के बदले 2 करोड़ रुपये से भी कम मिले थे.
याचिका में कहा गया था कि एनआईटी एक वैधानिक निकाय है और कानून के अनुसार कार्य करता है. एनआईटी को राजनीतिक दिग्गजों के आदेश के अनुसार काम नहीं करना चाहिए.
शिंदे ने यह निर्णय तब लिया था, जब वह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अगाड़ी (MVA) सरकार में शहरी विकास मंत्री थे. शिंदे ने औने-पौने दाम पर 5 एकड़ सरकारी जमीन 16 बिल्डरों को आवंटित कर दी थी, जबकि ये जमीन झुग्गीवासियों के आवास के लिए थी, इस जमीन का संरक्षक नागपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट है.
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