लखीमपुर हिंसा के मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 19 जनवरी को सुनवाई करेगा. निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट पहुंची एक रिपोर्ट से यह केस चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल, उस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले की पूरी सुनवाई में कम से कम 5 साल का वक्त लग सकता है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से पूछा था कि ट्रायल में कितना समय लगेगा? SC की मांग पर निचली अदालत ने अपनी यह रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट के मुताबिक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा है कि मामले में 200 गवाह, 171 दस्तावेज और 27 फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) रिपोर्ट हैं. इसलिए मामले की सुनवाई में कम से कम 5 साल का वक्त लगेगा.
बुधवार को हुई सुनवाई के बीच भी मामले के लंबे खिंचने का अंदेशा लगने लगा था. दरअसल, पीड़ितों की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कुछ गवाहों को धमकी दी गई है. केस गृह राज्य मंत्री से जुड़ा है. उन्होंने सबक सिखाने की बात कही थी. हालांकि, यूपी सरकार ने जवाब देते हुए कहा था कि गवाहों पर कोई हमला नहीं हुआ. इस बीच प्रशांत भूषण (पीड़ित पक्ष के वकील) ने राज्य सरकार पर आरोपी का पक्ष लेने का आरोप लगाया था.
सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस वी रामासुब्ह्मण्यम की पीठ के समक्ष हुई. यहां लखीमपुर खीरी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की रिपोर्ट भी पढ़ी गई थी. दरअसल, लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर 2021 को नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान सड़क पर उतर आए थे. किसानों की तैयारी एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद अजय मिश्रा टेनी का विरोध करने की थी. किसान शांतिपूर्वक सड़क से जा रहे थे कि पीछे से आई तेज रफ्तार थार किसानों को कुचलते हुए थोड़ा आगे जाकर पलट गई थी. इसके बाद हिंसा हुई थी.
हिंसा में चार किसानों समेत कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष इस मामले में मुख्य आरोपी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका खारिज करते हुए ये टिप्पणी की थी कि रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्यों के मुताबिक आशीष मिश्रा को जमानत नहीं दी जा सकती. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये भी कहा था कि वह राजनीतिक रूप से इतना प्रभावशाली है कि वह गवाहों को प्रभावित करेगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि आरोपी जमानत मिलने पर मुकदमे को भी प्रभावित करेगा.