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खतरे में राहुल गांधी की सांसदी... जानें- 72 साल पुराने जनप्रतिनिधि कानून और लिली थॉमस फैसले की पूरी हिस्ट्री

मानहानि के केस में दोषी करार दिए जाने के बाद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता पर भी संकट खड़ा हो गया है. इस मामले में दो साल की सजा मिलने पर उनकी सांसदी जाने का खतरा बढ़ गया है. कानूनन अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दो साल की सजा मिलती है तो उसकी सदस्यता जा सकती है.

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राहुल गांधी की सांसदी पर संकट के साथ-साथ उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती है. (फोटो-Rahul Gupta/aajtak.in)
राहुल गांधी की सांसदी पर संकट के साथ-साथ उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती है. (फोटो-Rahul Gupta/aajtak.in)

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को चार साल पुराने मानहानि मामले में दो साल की सजा सुनाई गई है. उन्होंने 'मोदी सरनेम' पर विवादित टिप्पणी की थी. 

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इस टिप्पणी को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था. इसी मामले पर सूरत की अदालत ने उन्हें दोषी पाते हुए दो साल की सजा सुनाई है. हालांकि, तुरंत बाद ही उन्हें जमानत भी मिल गई. इसके साथ ही अदालत ने उनकी सजा को 30 दिन के लिए निलंबित भी कर दिया, ताकि उन्हें ऊपरी अदालत में अपील करने का मौका मिल सके.

170 पन्नों के आदेश में कोर्ट ने कहा, 'राहुल गांधी चाहते तो अपने भाषण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चोकसी और अनिल अंबानी तक सीमित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने 'जानबूझकर' ऐसा बयान दिया जिससे मोदी सरनेम वाले लोगों को ठेस पहुंची.'

दो साल की सजा मिलते ही अब राहुल की संसद की सदस्यता पर भी खतरा मंडरा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल गांधी की सांसदी जाएगी या नहीं? इस पर कोर्ट के आदेश को एक्जामिन करने के बाद लोकसभा सचिवालय फैसला लेगा. अगर सदस्यता जाती है तो फिर इसका नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा.

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हालांकि, राहुल की सदस्यता को बचाने के लिए कांग्रेस निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया कि इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जाएगी. 

विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल गांधी की सदस्यता तुरंत जा सकती है. हालांकि, अगर वो ऊपरी अदालत में जाते हैं और कोर्ट उनकी सजा के साथ-साथ कन्विक्शन को भी निलंबित कर देती है तो वो इससे बच सकते हैं. 

सूरत कोर्ट के बाहर राहुल गांधी. (फोटो- PTI)

अब सवाल- क्यों जा सकती है राहुल की सदस्यता?

- किसी सांसद या विधायक की सदस्यता तीन परिस्थितियों में जा सकती है. पहली- संविधान के अनुच्छेद 102(1) और 191(1) में सांसद या विधायक को अयोग्य ठहराने का प्रावधान है. किसी सांसद या विधायक की सदस्यता जा सकती है, अगर उस पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला हो, वो मानसिक रूप से स्वस्थ न हो या फिर उसके पास सही नागरिकता न हो.

- इसके अलावा संविधान की 10वीं अनुसूची में किसी सांसद या विधायक की सदस्यता जाने का प्रावधान है. इसके मुताबिक, अगर कोई सांसद या विधायक दलबदल करता है तो उसे संसद या विधानसभा से अयोग्य ठहराया जा सकता है.

- वहीं, 1951 के जनप्रतिनिधि कानून के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया हो तो उसकी सदस्यता जा सकती है.

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क्या कहता है जनप्रतिनिधि कानून?

- 1951 में जनप्रतिनिधि कानून आया था. इस कानून की धारा 8 में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो जिस दिन उसे दोषी ठहराया जाएगा, तब से लेकर अगले 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकेगा. 

- धारा 8(1) में उन अपराधों का जिक्र है जिसके तहत दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर रोक लग जाती है. इसके तहत, दो समुदायों के बीच घृणा बढ़ाना, भ्रष्टाचार, दुष्कर्म जैसे अपराधों में दोषी ठहराए जाने पर चुनाव नहीं लड़ सकते. हालांकि, इसमें मानहानि का जिक्र नहीं है.

- पिछले साल समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की विधायकी चली गई थी. क्योंकि उन्हें हेट स्पीच के मामले में दोषी ठहराया गया था. 

- इस कानून की धारा 8(3) में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाती है और अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है.

सूरत कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शुक्रवार को राहुल संसद पहुंचे. (फोटो-PTI)

क्या तुरंत चली जाती है सदस्यता?

- दोषी साबित होने के बाद नोटिफिकेशन जारी होता है और सांसद या विधायक की सदस्यता चली जाती है. हालांकि, इसे तब से लागू माना जाता है जब दोषी साबित हुए तीन महीने बीत हो गए हैं.

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- दोषी साबित होने के बाद उस फैसले को अपील करने का समय मिलता है. अगर तीन महीने के भीतर अपील नहीं की जाती या फिर ऊपरी अदालत कन्विक्शन को निलंबित करती तो फिर उसकी सदस्यता चली जाती है.

- हालांकि, 2013 में लिली थॉमस बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(4) को 'असंवैधानिक' करार दिया था.

लिली थॉमस वाला फैसला, जो राहुल के मामले में असर डालेगा
 
- 2005 में केरल के वकील लिली थॉमस और लोकप्रहरी नाम के एनजीओ के महासचिव एसएन शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.

- इस याचिका में जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई थी. उन्होंने दलील दी कि ये धारा दोषी सांसदों-विधायकों की सदस्यता को बचाती है, क्योंकि इसके तहत अगर ऊपरी अदालत में मामला लंबित है तो फिर उन्हें अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता.

- इस याचिका में उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 102(1) और 191(1) का भी हवाला दिया गया था. अनुच्छेद 102(1) में सांसद और 191(1) में विधानसभा या विधान परिषद को अयोग्य ठहराने का प्रावधान है.

- 10 जुलाई 2010 को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की बेंच ने इस पर फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास धारा 8(4) को लागू करने का अधिकार नहीं है. 

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- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी मौजूदा सांसद या विधायक को दोषी ठहराया जाता है तो जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(1), 8(2) और 8(3) के तहत वो अयोग्य हो जाएगा.

लिली थॉमस फैसले को पलटने के लिए यूपीए सरकार अध्यादेश लाई थी, जिसे राहुल ने फाड़ दिया था. (फाइल फोटो)

सूरत की अदालत ने क्या कहा?

- सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा का ऐलान करते हुए कई अहम टिप्पणियां कीं. कोर्ट ने कहा, 'इस अपराध की गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि ये भाषण संसद के सदस्य ने दिया था, जिसका जनता पर गहरा प्रभाव पड़ता है.'

- कोर्ट ने कहा, 'अगर उन्हें कम सजा दी जाती है तो इससे जनता में गलत संदेश जाएगा. इतना ही नहीं, मानहानि का मकसद भी पूरा नहीं होगा और कोई भी किसी को भी आसानी से अपमानित कर सकेगा.'

- अदालत ने ये भी कहा कि 2018 में 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें चेताया था, जिसके बाद उन्होंने माफी मांग ली थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के चेतावनी के बावजूद उनके बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आया.

- दरअसल, 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में चुनावी रैली में राहुल ने मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, 'नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी... सबका कॉमन सरनेम क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?'

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