सुप्रीम कोर्ट में लाखों रुपये के बजट और टेंडर को धता बताते हुए बंदरों के झुंड ने गुरुवार को कारनामा कर दिखाया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पीछे स्थित गेट नंबर जी पर घात लगाकर हमला किया और एक महिला वकील को काट लिया. बदहाली की बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुकी. सुप्रीम कोर्ट में स्थित सीजीएचएस क्लीनिक में जख्मी महिला वकील को इलाज भी नहीं मिला, क्योंकि वहां रेनोवेशन का काम चल रहा है. लिहाजा काम बहुत सीमित चल रहा है.
पॉली क्लीनिक में समुचित दवा नहीं मिली. वहां मौजूद ड्यूटी डॉक्टर्स ने जख्म साफ तो कर दिया पर उचित दवा उपलब्ध नहीं थी. फिर दिल्ली सरकार के क्लीनिक का भी कुछ ऐसा ही हाल दिखा तो घायल वकील को आरएमएल अस्पताल जाकर इलाज करवाना पड़ा. दरअसल, वकील एस सेल्वाकुमारी सुप्रीम कोर्ट के पीछे स्थित म्यूजियम वाले जी गेट से दाखिल होती कि इससे पहले ही आक्रामक बंदरों ने हमला कर दिया.
मदद के लिए चीखती चिल्लाती सेल्वाकुमारी जब तक अंदर पहुंच पाती, एक खूंखार बंदर ने उनके पैर में काट लिया. इसके बाद वह दर्द से कराहती दो घंटे बाद आरएमएल अस्पताल पहुंची.
हैरानी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट में एक कर्मचारी हाथ में डंडा लिए बंदर और कुत्ते भगाने के लिए ही तैनात है. अब कोर्ट में बंदरों के आतंक को लेकर कोर्ट में पीआईएल का एक झोंका आने के आसार हैं. हो सकता है स्वत: संज्ञान ही ले लिया जाए.
बता दें कि साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने जजों के बंगलों में घुस आने वाले बंदरों को भगाने के लिए एक आधिकारिक निविदा जारी की थी. नोटिस में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के तीन से पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित तकरीबन 40 बंगलों में जरूरत के मुताबिक बंदर भगाने वाले तैनात किए जाएंगे.
2023 में दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. इसमें राष्ट्रीय राजधानी में 'बंदरों के खतरे' पर अंकुश लगाने के लिए 2007 में एक समन्वय पीठ द्वारा जारी निर्देशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक समिति गठित करने की मांग की गई थी.