नारदा स्टिंग में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के मंत्रियों और नेताओं को कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत से मना कर दिया है. ये मामला बड़ी बेंच में जाएगा, लेकिन हाई कोर्ट ने सभी को नजरबंद रखने का आदेश दिया है. यानि मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर सोवन चटर्जी हाउस अरेस्ट यानी नजरबंद रहेंगे.
हालांकि, टीएमसी नेताओं की ओर से दलील रख रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने हाउस अरेस्ट पर स्टे की मांग की है. इस बीच चारों नेताओं की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाले बेंच में एक जज जस्टिस अरिजीत बनर्जी ने अंतरिम जमानत देने पर रजामंदी दी थी, लेकिन कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने हाउस अरेस्ट का आदेश दिया है.
कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने कहा कि अंतरिम जमानत का मामला बड़ी बेंच को जाएगा. दरअसल, इस मामले की सुनवाई की सुनवाई जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस अरिजीत बनर्जी कर रहे थे. जस्टिस अरिजीत बनर्जी जमानत देने के पक्ष में थे, जबकि कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल जमानत नहीं देने के पक्ष में थे.
कलकत्ता हाई कोर्ट की बेंच में एकपक्षीय फैसला न होने के कारण चारों नेताओं को हाउस अरेस्ट में रहने का आदेश दिया गया है. अब अंतरिम जमानत का मामला तीसरे बेंच या बड़ी बेंच के पास भेजा जाएगा, तब तक चारों नेता हाउस अरेस्ट रहेंगे और जांच में सीबीआई की मदद करेंगे. यानी अभी चारों नेताओं को कोई राहत नहीं मिली है.
इस बीच टीएमसी के मंत्रियों और विधायक को गिरफ्तार करने वाली सीबीआई टीम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है. पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य की शिकायत में कहा गया है कि गिरफ्तारी अवैध थी क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष से कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी.
मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने लिखा, "हमें यह समझ में नहीं आ रहा है कि किसी राज्य का राज्यपाल सीबीआई को किसी को गिरफ्तार करने का निर्देश कैसे दे सकता है, जबकि कानून उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं देता. बेशर्मी से, राज्यपाल बीजेपी के मुखपत्र और पीएम मोदी और अमित शाह के इशारे पर काम कर रहे हैं."