scorecardresearch
 

टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक का क्या होगा? NIA ने सजा-ए-मौत मांगी, कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल

दिल्ली हाईकोर्ट कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की फांसी की सजा की मांग वाली NIA की याचिका पर सुनवाई हो रही है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अदालत से यासीन मलिक के लिए फांसी की सजा मांगी है.

Advertisement
X
एनआईए ने की है यासीन मलिक के लिए फांसी की सजा की मांग
एनआईए ने की है यासीन मलिक के लिए फांसी की सजा की मांग

कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को फांसी की सजा की मांग वाली एनआईए की याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है. एनआईए अदालत के समक्ष चार्ज पॉइंट पर ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड पेश करेगी. दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल सिंह और जस्टिस तलवन्त सिंह की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है.

Advertisement

इससे पहले आज हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा कि मलिक लगातार सशस्त्र विद्रोह कर रहा था और सेना के जवानों की हत्या में शामिल रहा. एनआई की तरफ से कहा गया कि मलिक कश्मीर को अलग करने की बात करता रहा क्या य़ह दुर्लभतम मामला नहीं हो सकता है?

एसजी ने कोर्ट से समक्ष रखे ये तर्क

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि आईपीसी की धारा 121 के तहत भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने पर मौत की सजा का भी प्रावधान है, ऐसे अपराधी को मौत की सजा मिलनी चाहिए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा मलिक वायुसेना के चार जवानों की हत्या में शामिल रहा, उसके सहयोगियों ने तत्कालीन  गृह मंत्री की  रुबिया सईद का अपहरण किया. उसके बाद उसके अपहरणकर्ताओं को छोड़ा गया जिन्होंने बाद में मुंबई बम ब्लास्ट को अंजाम दिया. SG ने कहा कि IPC 121 में मामला देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का बनता है, जिसमे फांसी की सज़ा का प्रावधान है.

Advertisement

कोर्ट का सवाल 

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा, निचली अदालत के आदेश में 4 वायु सेना के अधिकारियों की हत्या का जिक्र कहां है? इसमें तो पत्थरबाजी में शामिल होने की बात कही गई है. दिल्ली हाई कोर्ट ने एनआईए से पूछा कि ट्रायल कोर्ट का वह ऑर्डर बतायें जिसमें यासीन ने किस किस चार्ज पर गुनाह स्वीकार किया है.

हुर्रियत ने किया विरोध

इससे पहले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने रविवार को कहा कि एनआईए द्वारा जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक के लिए मृत्युदंड की मांग जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए ‘‘बेहद परेशान करने वाली’’ बात है. मलिक को एक निचली अदालत ने आतंकी वित्तपोषण मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

दरअसल, यासीन मलिक के खिलाफ यूएपीए कानून के तहत 2017 में आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने, आतंक के लिए पैसा एकत्र करने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने जैसे गंभीर आरोप थे. जिसे उसने चुनौती नहीं देने की बात कही और इन आरोपों को स्वीकार कर लिया. यह मामला कश्मीर घाटी में आतंकवाद से जुड़े मामले से संबंधित है. वर्ष 2017 में कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं में बहुत इजाफा देखने को मिला था. घाटी के माहौल को बिगाड़ने के लिए लगातार आतंकी साजिशें रची जा रही थीं और वारदातों को अंजाम दिया जा रहा था. इसी मामले में दिल्ली की विशेष अदालत में अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ सुनवाई हुई थी, जिसमें यासीन ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था

Advertisement


 

Advertisement
Advertisement