पिछले साल मार्च के महीने में दिल्ली में स्थित निजामुद्दीन मरकज को बंद कर दिया गया था. वहां पर तबलीगी जमात का एक सम्मेलन हुआ था जहां पर कई दूसरे देश से आए तब्लीगियों ने भी हिस्सा लिया था. आरोप लगा कि उस सम्मेलन की वजह से कोरोना तेजी से फैला. अब फिर उसी मरकज को खोलने की मांग है. दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से हाई कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल कर दी गई है.
कब खुलेगा मरकज, केंद्र का जवाब
उस याचिका पर केंद्र की तरफ से कोर्ट को स्पष्ट जवाब दिया गया है. हलफनामा में बताया गया है कि ये एक गंभीर मामला है. महामारी अधिनियम के तहत आरोपियों पर कार्रवाई हो रही है, ऐसे में अगर अभी मरकज खोला गया तो इसके सीमा पार भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं. केंद्र ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस मामले में दिल्ली वक्फ बोर्ड का कोई रोल नहीं है, वे पट्टेदारों को पीछे कर खुद आगे नहीं आ सकते हैं.
केंद्र ने अपने जवाब में ये भी जानकारी दी है कि ये मरकज को खलीला और उनके आरोपी बेटे मोहम्मद साद को लीज पर दिया गया है. वहीं हाई कोर्ट के निर्देश के बाद से ही उनके परिवार को परिसर में रहने की मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में दिल्ली वक्फ बोर्ड का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है.
कोर्ट ने क्या कहा है?
जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से एक याचिका दायर की गई थी. उस याचिका में स्पष्ट कहा गया था कि केंद्र को अब मरकज की पूरी संपत्ति वापस कर देनी चाहिए. ये भी कहा गया था कि अब इस मामले में केंद्र की कोई सक्रिय भूमिका नहीं रह गई है. कोर्ट ने भी यही सवाल केंद्र से पूछा था कि आखिर कब तक मरकज को बंद रखा जा सकता है. कोर्ट ने ये भी कहा था कि मरकज को ज्यादा लंबे समय तक बंद नहीं रखा जा सकता है. महामारी के दौरान एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उसके बाद से ही केंद्र ने उस संपत्ति पर नियंत्रण कर लिया.
कोर्ट के उस सवाल पर ही केंद्र द्वारा ये हलफनामा दायर किया गया था. अब दिल्ली वक्फ बोर्ड ने भी अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है. मामले की अगली सुनवाई नवंबर 16 को होने जा रही है.