बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है. SC ने उनके वकील से कहा है कि राहत के लिए उन्हें हाईकोर्ट जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि NSA और दूसरी राहत की मांग को लेकर मनीष कश्यप को संबंधित अथॉरिटी में याचिका दाखिल करना चाहिए.
सोमवार को सुनवाई के दौरान CJI ने पूछा कि बिहार में जो FIR दर्ज हुई है, वह किस घटना को लेकर है? सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के वकील ने कहा की पहली FIR फेक वीडियो को लेकर है, दूसरी पटना एयरपोर्ट पर दिए गए बयान को लेकर है, जो विवादित है. तीसरी FIR हाथ में हथकड़ी वाले फोटो को लेकर है. बिहार सरकार ने कहा कि मनीष कश्यप आदतन अपराधी है.
सभी FIR को एक साथ करने की मांग
CJI ने सुनवाई के दौरान कहा कि अब तमिलनाडु सरकार बताए कि FIR के बारे में क्या डिटेल है. तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जहां पहली एफआईआर दर्ज हुई, वहीं सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ना चाहिए. इस दौरान बिहार सरकार के वकील ने कहा कि वह (मनीष कश्यप) उगाही करने वाला शख्स है. उसने चुनाव भी लड़ा है.
फेक वीडियो सर्कुलेट करने का आरोप
बिहार सरकार के वकील ने कहा कि आरोपी ने पटना में फेक वीडियो शूट किया और उसे सर्कुलेट किया. इस पर मनीष के वकील ने दो राष्ट्रीय अखबारों का उदाहरण देते हुए घटना पर उनकी स्टोरी का जिक्र किया.
पहले तमिलनाडु सरकार को दिया था नोटिस
इससे पहले इस मामले में 21 अप्रैल को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. तब कोर्ट ने पुलिस द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाए जाने पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद कश्यप को मदुरै केंद्रीय कारागार से कहीं और स्थानांतरित नहीं करने का भी निर्देश दिया था.
बिहार से साथ ले गई थी तमिलनाडु पुलिस
दलीलों के दौरान, कश्यप की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने पीठ को बताया था कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी श्रमिकों पर कथित हमले के संबंध में एक फर्जी वीडियो साझा करने के मामले में वह वर्तमान में तमिलनाडु पुलिस की हिरासत में हैं. मदुरै की एक अदालत से रिमांड का आदेश मिलने के बाद उसे पूछताछ के लिए तमिलनाडु पुलिस बिहार से उन्हें लेकर गई थी.