देश में इन दिनों भड़काऊ बयानबाजी को लेकर फिर सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी से निलंबित नेता नुपुर शर्मा के कथित बयान पर काफी हंगामा हुआ है. इसको लेकर कानपुर में पिछले हफ्ते हिंसा भी हुई थी. इतना ही नहीं कतर और ईरान जैसे मुस्लिम देशों ने भी भारत को निशाने पर ले लिया है.
दिल्ली पुलिस के पीआरओ ने न्यूज एजेंसी को बताया कि नुपुर शर्मा, नवीन जिंदल और असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने पर दो FIR दर्ज की गईं हैं. पुलिस के मुताबिक, इनकी टिप्पणियों से धार्मिक भावनाएं आहत हुईं हैं.
लेकिन भड़काऊ भाषण या बयान या हेट स्पीच क्या होगी? इसकी कोई कानूनी भाषा तय नहीं है. लेकिन बोलकर, लिखकर, इशारों से या किसी भी तरीके से हिंसा भड़काने की कोशिश होती है या दो समुदायों या समूहों के बीच सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश होती है तो ऐसा करना अपराध होगा. इसे ही 'हेट स्पीच' समझा जाता है.
2017 में लॉ कमीशन ने 267वीं रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में लॉ कमीशन ने कहा था, 'हेट स्पीच कोई भी लिखा या बोला हुआ शब्द, इशारा या कोई प्रस्तुति हो सकता है जिसे देखकर या सुनकर डर पैदा हो या हिंसा को बढ़ावा मिले.'
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ऐसी बयानबाजी पर कितनी सजा?
हमारे देश में भड़काऊ भाषण देने पर इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 153A और 153AA के तहत केस दर्ज किया जाता है. कई मामलों में धारा 505 भी जोड़ी जाती है.
धारा 153A कहती है, 'धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सौहार्द्र बिगाड़ने पर 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.' ये धारा आगे कहती है, 'अगर किसी धार्मिक स्थल या सभा में ऐसा किया जाता है तो 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान है.'
धारा 505 में के तहत भड़काऊ बयान देना अपराध है. धारा 505(1) के तहत, अगर एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसाया जाता है और शांति भंग होती है तो ऐसे में 3 साल की कैद की सजा का प्रावधान है. वहीं, 505(2) में प्रावधान है कि दो वर्गों के बीच दुश्मनी, घृणा या द्वेष पैदा करने वाले बयान देना अपराध है. इसकी उपधारा (3) में प्रावधान है कि अगर ये काम धार्मिक स्थल या धार्मिक समारोह में होता है तो 5 साल की कैद हो सकती है.
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लॉ कमीशन की सिफारिश अब तक लागू नहीं
हेट स्पीच पर लॉ कमीशन ने 2017 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें आयोग ने सरकार से हेट स्पीच के लिए अलग धारा जोड़ने की सिफारिश की थी. आयोग ने धारा 153C और 505A जोड़ने का सुझाव दिया था.
प्रस्तावित 153C में धर्म, जाति या समुदाय आदि के आधार पर बोलकर, लिखकर या इशारों से धमकाने पर 2 साल की कैद और 5 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है. वहीं, कुछ मामलों में भय या हिंसा भड़काने पर सजा देने के लिए 505A जोड़ा जाए. इस धारा के तहत 1 साल की कैद या 5 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान करने का प्रस्ताव दिया गया है.
हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक इन सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है. इन सिफारिशों को लागू करवाने के लिए बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. ये मामला अभी कोर्ट में पेंडिंग है.
हेट स्पीच के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं...
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल धारा 153A के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. 2014 में देश में हेट स्पीच के 336 मामले दर्ज हुए थे. वहीं, 2020 में 1,804 मामले दर्ज हुए हैं. यानी, 7 साल में हेट स्पीच के मामले 6 गुना तक बढ़ गए हैं.
एनसीआरबी 2014 से ही धारा 153A और 153AA के तहत दर्ज मामलों का आंकड़ा अलग से दे रही है. 2014 में अदालतों में हेट स्पीच से जुड़े 19 मामलों का ही ट्रायल पूरा हुआ था. इनमें से सिर्फ 4 में ही सजा मिली थी.
2020 में 186 मामलों में ट्रायल पूरा हुआ और 38 मामलों में सजा मिली. 2020 में हेट स्पीच के मामलों में कन्विक्शन रेट 20.4% था. इससे पहले 2019 में 159 मामलों का ट्रायल पूरा हुआ था और 42 मामलों में सजा मिली थी. इसका मतलब हुआ कि ज्यादातर मामलों में आरोपी बरी हो जाते हैं.