दिल्ली हाई कोर्ट में सोमवार को NIA की याचिका पर कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान सॉलिसिटर जनरल ने पक्ष रखा और भारतीय न्यायिक प्रणाली की तारीफ की. उन्होंने कहा, अगर ओसामा बिन लादेन भी भारतीय अदालत के सामने होता तो उसे भी बहस करने का उचित मौका मिलता. इस पर जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने टोका और कहा- मलिक की तुलना ओसामा से नहीं की जा सकती है. ओसामा ने कभी मुकदमे का सामना नहीं किया है.
सॉलिसिटर जनरल (SG) ने कहा- शायद अमेरिका ने ओसामा के साथ सही व्यवहार किया. HC ने कहा कि इस बारे में बातचीत नहीं करना चाहिए. अदालतों को विदेशी मामलों से जुड़े मसलों पर टिप्पणी से बचना चाहिए. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की बेंच ने 9 अगस्त को मलिक को पेश करने के लिए वारंट भी जारी किया है. ये नोटिस एनआईए की तरफ से यासीन को टेरर फंडिंग केस में फांसी की सजा दिए जाने की मांग पर जारी किया गया है.
'जेल अधीक्षक के माध्यम से नोटिस होगा तामील'
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि आरोपी आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल था और इस मामले को 'दुर्लभतम' मामले के रूप में मानते हुए मौत की सजा दी जानी चाहिए. अदालत ने आदेश दिया, यासीन मलिक को आईपीसी की धारा 121 के तहत दोषी ठहराया है, जो एक वैकल्पिक मौत की सजा का प्रावधान करता है, हम उसे पेश करने के लिए नोटिस जारी करते हैं. जेल अधीक्षक के माध्यम से नोटिस तामील कराया जाए.
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'खूंखार आतंकियों को मिले मौत की सजा'
याचिका में एनआईए ने कहा, अगर इस तरह के 'खूंखार आतंकवादियों' को मौत की सजा नहीं दी जाती है तो सजा नीति का पूरी तरह से क्षरण होगा और आतंकवादियों को मृत्युदंड से बचने का रास्ता मिल जाएगा. एनआईए ने जोर देकर कहा कि उम्रकैद की सजा आतंकवादियों द्वारा किए गए अपराध के अनुरूप नहीं है.
'टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सजा काट रहा यासीन'
बता दें कि यासीन मलिक वर्तमान में UAPA के तहत टेरर फंडिंग और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने से जुड़े एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. मई 2022 में उसे दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई थी. पटियाला हाउस कोर्ट में NIA की स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
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'इन धाराओं में कोर्ट ने पाया था दोषी'
तब कोर्ट ने मलिक पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था. NIA स्पेशल कोर्ट ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और IPC के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं थी. यासीन मलिक को 2 अपराधों IPC की धारा-121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और UAPA की धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना) के तहत सजा सुनाई गई थी.
'ये है पूरा मामला'
दरअसल, यासीन मलिक के खिलाफ यूएपीए कानून के तहत 2017 में आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने, आतंक के लिए पैसा एकत्र करने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने जैसे गंभीर आरोप थे. जिसे उसने चुनौती नहीं देने की बात कही और इन आरोपों को स्वीकार कर लिया. यह मामला कश्मीर घाटी में आतंकवाद से जुड़े मामले से संबंधित है. वर्ष 2017 में कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं में बहुत इजाफा देखने को मिला था. घाटी के माहौल को बिगाड़ने के लिए लगातार आतंकी साजिशें रची जा रही थीं और वारदातों को अंजाम दिया जा रहा था. इसी मामले में दिल्ली की विशेष अदालत में अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ सुनवाई हुई थी, जिसमें यासीन ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था.
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