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Pegasus Case: पेगासस मामले की जांच के लिए बनी कमेटी में कौन-कौन? क्या काम करेगी? जानें सबकुछ

पेगासस के जरिए जासूसी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए तीन सदस्यों की एक जांच कमेटी बनाई है. जांच कमेटी की मदद के लिए तीन सदस्यीय तकनीकी समिति का भी गठन किया है. ये कमेटी 8 हफ्ते में कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

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जुलाई में सामने आया था जासूसी का मामला (प्रतीकात्मक तस्वीर- Kaspersky)
जुलाई में सामने आया था जासूसी का मामला (प्रतीकात्मक तस्वीर- Kaspersky)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेगासस मामले की जांच ने SC ने बनाई कमेटी
  • जांच कमेटी की मदद के लिए तकनीकी समिति भी
  • कमेटी 8 हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी रिपोर्ट

Pegasus Snooping Row: इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी के मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने बुधवार को इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए निगरानी जरूरी है, लेकिन लोकतंत्रत में अंधाधुंध जासूसी की अनुमति नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक्सपर्ट कमेटी बनाई है जो 8 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. लेकिन इस कमेटी में कौन-कौन हैं? इसका काम क्या होगा? कमेटी की जरूरत क्यों पड़ी? इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...

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क्यों पड़ी कमेटी की जरूरत?

पेगासस मामले में केंद्र सरकार ने कमेटी गठित करने की बात कही थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस अर्जी को नहीं माना. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार की कमेटी को जांच करने की अनुमति दी गई तो इससे न्यायिय जांच के सिद्धांत का उल्लंघन होगा. कोर्ट ने कहा कि न्याय सिर्फ किया ही नहीं जाना चाहिए, बल्कि होते हुए भी दिखना चाहिए. इसलिए कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया. इसके साथ ही कोर्ट ने एक तकनीकी कमेटी का गठन भी किया है, जो जांच कमेटी की मदद करेगी. ये कमेटी 8 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. 

ये भी पढ़ें-- जानिए क्या है Pegasus सॉफ्टवेयर जो फोन के जरिए करता है लोगों की जासूसी

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कमेटी में कौन-कौन?

- जांच कमेटी की अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज आरवी रवींद्रन करेंगे. जस्टिस रवींद्रन 2005 से 2011 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं. इस कमेटी में उनके साथ पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट संदीप ओबेराय भी होंगे.

- इस जांच कमेटी की मदद के लिए कोर्ट ने तीन सदस्यों की तकनीकी समिति का भी गठन किया है. इस कमेटी में नवीन कुमार चौधरी, प्रभाहरन पी. और अश्विन अनिल गुमस्ते हैं. 

इन 6 पॉइंट्स पर जांच करेगी कमेटी

1. क्या पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल भारत के नागरिकों के फोन पर या अन्य उपकरणों पर स्टोर डेटा, बातचीत, अन्य जानकारी एक्सेस करने के लिए किया गया था?

2. उन पीड़ित/प्रभावित लोगों की जानकारी जिनके खिलाफ स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया?

3. साल 2019 में पेगासस जासूसी कांड की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद केंद्र सरकार ने क्या कदम/एक्शन उठाए?

4. क्या भारत सरकार, कोई सरकारी एजेंसी ने पेगासस से सॉफ्टवेयर के लिए करार किया हुआ है?

5. अगर किसी सरकारी एजेंसी ने पेगासस का इस्तेमाल भारत के नागरिकों पर किया है. तो वह किस कानून, नियम, दिशानिर्देश, प्रोटोकॉल या वैध प्रक्रिया के तहत किया गया है?

6. क्या किसी घरेलू इकाई/व्यक्ति ने भारत के लोगों पर पेगासस का इस्तेमाल किया?

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इस पर सिफारिशें देगी कमेटी

- कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी से मौजूदा कानूनों के बेहतर अनुपालन और इसमें संशोधन के क्या उपाय हो सकते हैं, इस पर सिफारिश देने को कहा है. साथ ही ये भी बताने को कहा है कि निजता के अधिकार और साइबर सिक्योरिटी को कैसे सुधारा जा सकता है.

- इसके अलावा गैर-कानूनी निगरानी की शिकायत नागरिक कर सकें, इसके लिए एक सिस्टम कैसे बन सकता है, इस बारे में भी कोर्ट ने पूछा है.

बंगाल में पहले ही बन चुकी है कमेटी

पेगासस मामले की जांच के लिए ममता सरकार ने 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में हाईकोर्ट के दो रिटायर्ड जज भी शामिल हैं. ये कमेटी पश्चिम बंगाल फोन हैकिंग, ट्रैकिंग और फोन रिकॉर्डिंग के आरोपों की जांच कर रही है. 

 

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