रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को पश्चिम बंगाल से वापस भेजने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई है. इस याचिका में मांग की गई है कि घुसपैठियों को एक साल के भीतर पश्चिम बंगाल से वापस उनके देश भेजा जाए. मिली जानकारी के अनुसार इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल की सामाजिक कार्यकर्ता संगीता चक्रवर्ती ने जनहित याचिका दायर कर गुहार लगाई है कि घुसपैठियों की पहचान कर सरकार रिपोर्ट दे और साल भर के भीतर उनको उनके वतन वापस भेजने का इंतजाम कर दें.
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याचिका में कहा गया है कि जिन सरकारी अधिकारियों ने इन घुसपैठियों की मदद राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य किस्म के प्रमाण पत्र बनवाने में की है, उनकी पहचान और सत्यापन होने के बाद उनकी संपत्ति जब्त की जानी चाहिए. इसके इतर जो लोग इन घुसपैठियों की मदद करने में लिप्त पाए जाएं उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए.
याचिका में यह भी प्रार्थना की गई है कि इन घटनाओं से सबक लेते हुए भविष्य के लिए भारतीय दण्ड विधान में एक प्रावधान घुसपैठ का भी जोड़ा जाए. इसे संज्ञेय, गैर जमानती और समझौते के लिए अयोग्य अपराध माना जाए. इसी तर्ज पर उनके लिए सख्त सजा का प्रावधान भी हो.
याचिका में घुसपैठियों को ही पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा, आगजनी और लूटपाट के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. इन घटनाओं के कुछ पीड़ित परिवारों का भी हवाला याचिका में दिया गया है.
इस याचिका में विधि आयोग की 175वीं रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया है. उस रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि अवैध घुसपैठिए लोकतंत्र और देश की आंतरिक सुरक्षा और अमन शांति के लिए गंभीर खतरा हैं. आयोग की रिपोर्ट में भारत के पूर्वी भाग और जम्मू एवं कश्मीर में घुसपैठियों का जिक्र तफसील से किया गया है.