चीफ इलेक्शन कमिश्नर और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से सरकार को रोकने के लिए मध्य प्रदेश कांग्रेस की महिला नेता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. उन्होंने याचिका दाखिल कर सर्वोच्च अदालत से गुजारिश की है कि वह धारा 7 और 8 के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त और दूसरे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से सरकार को रोके. याचिका मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दायर की है.
याचिका में अरूप बरनवाल फैसले के मुताबिक चुनाव आयोग के सदस्य की नियुक्ति के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है. बता दें कि इस मामले से जुड़े एक अन्य मामले की याचिकाएं पहले हीं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. वे याचिकाएं CJI को चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल से हटाने के खिलाफ लगाई गई थीं.
हाल ही में निर्वाचन आयोग में इकलौते निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दिया है. इसके बाद अब सरकार निर्वाचन आयोग में खाली हुए आयुक्तों के पद 15 मार्च तक भरने की कवायद में तेजी से जुटी है. अब तक एक ही निर्वाचन आयुक्त की बहाली में जुटी सरकार को आनन-फानन में दो निर्वाचन आयुक्तों की बहाली की कसरत करनी पड़ रही है.
बुलेट रफ्तार से करनी होगी नियुक्ति!
सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक 6-7 अफसरों का पैनल पहले से ही तैयार है. प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की ओर से मनोनीत एक मंत्री की चयन समिति संभवत: मंगलवार तक इस बाबत बैठक करेगी. सरकार की पूरी कोशिश है कि दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति चुनाव की घोषणा से पहले हो जाए. सरकार के पास इस बुलेट रफ्तार के अलावा कोई रास्ता भी नहीं है.
इस बार अर्जेंसी अलग लेवल पर
हालांकि, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अरुण गोयल की नियुक्ति इसी बुलेट रफ्तार से किए जाने पर तंज कसा था. कोर्ट ने तब कहा था कि ऐसा कौन सा आसमान टूटा पड़ रहा था कि सरकार बिजली को तेजी से काम करने लगी. एक दिन में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई, लेकिन इस बार अर्जेंसी कुछ अलग है और जायज भी है.