कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आज यानी बुधवार को पटना के एमपी एमएलए कोर्ट में मोदी सरनेम वाले मानहानि के एक और केस सुनवाई होनी थी. हालांकि राहुल गांधी सुनवाई में नहीं पहुंच सके. अब 25 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी. मानहानि के ऐसे ही एक केस में पिछले महीने सूरत कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया था. कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा भी सुना दी है. इस कारण उनकी सांसदी भी छिन गई है. हालांकि राहुल अभी जमानत पर हैं. बिहार में राहुल के खिलाफ मानहानि का केस बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दर्ज कराया है.
इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या एक ही अपराध के लिए आरोपी को कई बार सजा सुनाई जा सकती है? एक्सपर्ट से जानें क्या कहता है कानून
सुप्रीम कोर्ट में वकील फुजैल खान के मुताबिक भारतीय न्याय व्यवस्था और संविधान के अनुच्छेद 13 के मुताबिक एक आरोप या अपराध में किसी को एक ही बार सजा सुनाई जा सकती है, लेकिन आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ वकील सुशील टेकरीवाल के विचार इनके उलट हैं. टेकरीवाल के मुताबिक पटना की कोर्ट इस मामले में सूरत कोर्ट के फैसले के बावजूद ट्रायल का आदेश दे सकती है.
वकील फुजैल खान ने बताया कि सूरत कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि केस की सुनवाई हो चुकी है, इसलिए अब पटना कोर्ट में राहुल को सूरत मजिस्ट्रेट कोर्ट के सजा के आदेश और सत्र अदालत के जमानत के आदेश पेश कर यह बताना होगा कि इसी आरोप में उन्हें सजा और जमानत दोनों हो चुकी हैं. इसके अलावा पटना कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी भी लगानी होगी. इसके अलावा पटना हाई कोर्ट में राहुल गांधी को निचली अदालत से जारी समन रद्द करने की अर्जी भी लगानी होगी.
वकील फुजैल खान ने बताया कि राहुल गांधी को पटना में शुरू हुई सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की जरूरत नहीं है, लेकिन जब उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई होगी तो उन्हें खुद हाजिर होना होगा. दरअसल जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत आरोपी की पूरी तस्दीक करती है यानी व्यक्तिगत पहचान का पूरा ब्योरा दर्ज करने के बाद ही जमानत देती है.
वहीं सुशील टेकरीवाल ने भी इस बात पर सहमति जताई कि सुनवाई के इस शुरुआती चरण में राहुल का व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना जरूरी भी नहीं है. वो सुनवाई के दौरान निजी तौर पर पेशी से छूट की गुहार लगा सकते हैं. वहीं टेकरीवाल ने बताया कि राहुल पटना हाई कोर्ट के सामने सीआरपीसी की धारा 482 और संविधान के अनुच्छेद 20(2) के तहत अर्जी दाखिल कर सकते हैं. इसके जरिए समन रद्द करने और एक ही अपराध के लिए दो बार सजा न दिए जाने की अपील की पुष्टि होती है. उन्हें कोर्ट से राहत मिलने के पूरे आसार है.
वकील सुशील टेकरीवाल करते हैं कि अब राहुल गांधी के पास सुप्रीम कोर्ट जाकर इस मामले से जुड़ी सभी एफआईआर या शिकायतों या मुकदमों को क्लब करने का भी विकल्प नहीं बचा है.
राहुल गांधी ने कर्नाटक में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?
इसके बाद बीजेपी विधायक पूर्णेश भूपेंद्र पटेल ने मानहानि का केस करते हुए आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? उनके इस बयान से हमारी और समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची. इन्हीं की याचिका पर सुनवाई के बाद राहुल गांधी को IPC की धारा 499 और 500 के तहत कोर्ट ने दोषी करार दिया था. भूपेंद्र पटेल के बाद बिहार में सुशील मोदी ने भी केस दर्ज करा दिया था, जिस पर सुनवाई हो गई है.